नई दिल्ली/वॉशिंगटन: COVID-19 के बढ़ते मामलों ने दुनिया भर में कहर बरपाया है, जिससे हेल्थकेयर सिस्टम (Healthcare system) पर भारी बोझ पड़ रहा है. ऐसे समय में, कोरोना वायरस के लिए नई सेल्फ-टेस्टिंग तकनीक समय की आवश्यकता है, जिसके जरिए आसानी से और जल्द रिजल्ट प्राप्त किया जा सके. उदाहरण के लिए, हमारे देश में ICMR द्वारा एप्रूव्ड COVID-19 सेल्फ-टेस्ट किट है जो केवल 15 मिनट में संक्रमण का रिजल्ट दे सकती है.
तेज हो सकती है कोरोना टेस्टिंग
अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के अनुसार इसी तर्ज पर हाल ही में, फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी और ताइवान की नेशनल चिआओ तुंग युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने COVID-19 बायोमार्कर के लिए एक फास्ट और संवेदनशील टेस्टिंग विधि विकसित की है. दिलचस्प बात यह है कि इसका सेंसर सिस्टम एक सेकंड के भीतर ही रिजल्ट दे सकता है. इस प्रणाली का जिक्र जर्नल ऑफ वैक्यूम साइंस एंड टेक्नोलॉजी बी में एक स्टडी में किया गया है. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और इस स्टडी के ऑथर, मिंगन जियान ने कहा है, ‘यह तकनीक कोरोना टेस्टिंग की धीमी स्पीड को तेज कर सकती है.’
इस किट से कैसे होता है टेस्ट?
टेस्टिंग के लिए एक बायोसेंसर स्ट्रिप का उपयोग किया जाता है जो आकार में ग्लूकोज टेस्ट स्ट्रिप्स के बराबर है. fluid डालने के लिए स्ट्रिप पर एक छोटा माइक्रोफ्लुइडिक चैनल होता है. माइक्रोफ्लुइडिक चैनल के भीतर, कुछ इलेक्ट्रोड fluid के संपर्क में आते हैं. एक इलेक्ट्रोड को गोल्ड से कोटेड किया जाता है, और कोविड- रिलीवेंट एंटीबॉडी एक रासायनिक विधि के जरिए सोने की सतह से चिपक जाती हैं. टेस्टिंग के दौरान सेंसर स्ट्रिप्स, एक कनेक्टर के माध्यम से एक सर्किट बोर्ड से जुड़े होते हैं और एक छोटा इलेक्ट्रिक टेस्ट सिग्नल कोविड एंटीबॉडी और एक अन्य सहायक इलेक्ट्रोड के साथ बंधे हुए गोल्ड इलेक्ट्रोड के बीच भेजा जाता है. इस तरह संक्रमण की पुष्टि होती है.
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री-यूज कर सकते हैं सर्किट बोर्ड
सिस्टम की सेंसर स्ट्रिप्स को एक यूज के बाद प्रयोग नहीं करना चाहिए जबकि टेस्ट सर्किट बोर्ड री-यूज कर सकते हैं. इसका मतलब है कि टेस्ट की लागत बहुत कम हो सकती है. रिसर्चर का मानना है कि टेस्टिंग की ये विधि मौजूदा दौर में बड़ी मददगार हो सकती है. तमाम हेल्थ वर्कर को संक्रमण से बचाया जा सकता है. सही समय को संक्रमित व्यक्ति को इलाज दिया जा सकता है.
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