लखनऊ: Right to Free and Compulsary Child Education (RTE) अधिनियम के तहत जो प्राइवेट स्कूल गरीब बच्चों को एडमिशन दे रहे थे, अब उन्हें फीस प्रतिपूर्ति (Fee Reimbursement) के लिए सरकार से ऑनलाइन डिमांड करनी होगी. अब आरटीई अधिनियम के तहत दाखिला पाने वाले गरीब बच्चों का पूरा विवरण पोर्टल पर अपलोड करना होगा. बता दें, ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि शुल्क प्रतिपूर्ति में हो रही गड़बड़ी को रोका जा सके और पूरे प्रोसेस में पारदर्शिता लाई जा सके. इसलिए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने यह नई व्यवस्था लागू की है.
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ये चीजें होंगी पोर्टल पर अपलोड
जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक पोर्टल बनाया है. अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सभी बच्चों की संख्या के बारे में खंड शिक्षा अधिकारी से प्रमाण पत्र लेकर पोर्टल पर अपलोड करेंगे. शुल्क प्रतिपूर्ति और वित्तीय सहायता की मांग को भी पोर्टल पर ही अपलोड करना होगा. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी कर दिए हैं.
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सरकार देती है 450 रुपये
गौरतलब है कि सेशन 2020-21 आरटीई अधिनियम के तहत प्रदेश में लगभग 85,000 बच्चों ने प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लिया है. आरटीई के जरिए क्लास 1 में 25% गरीब बच्चों को दाखिला दिया जाता है. राज्य सरकार इन बच्चों के लिए 450 रुपए शुल्क प्रतिपूर्ति देती है.
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पहले का भुगतान भी सुनिश्चित करें
बता दें, स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति करते समय यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस बारे में पहले तो कोई भुगतान नहीं हुआ है. अभी तक यह व्यवस्था मैनुअल थी जिसे अब ऑनलाइन करने का निर्देश दिया गया है.
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