

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में फॉरेंसिक हेड डा. सुधीर गुप्ता ने कहा है कि एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे बाद कोरोना वायरस (Coronavirus) नाक और मुंह की cavities (नेजल और ओरल कैविटी) में एक्टिव नहीं रहता. इस वजह से मृतक से संक्रमण का खतरा ज्यादा नहीं होता है.
24 घंटे बाद डेड बॉडी से खतरा नहीं?
डा.गुप्ता ने कहा, ‘मौत के बाद 12 से 24 घंटे के अंतराल में लगभग 100 शवों का फिर से कोरोना वायरस संक्रमण टेस्ट (Coronavirus Test) किया गया, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई. मौत के 24 घंटे बाद वायरस नाक और मुंह में एक्टिव नहीं रहता है.’ उन्होंने कहा, ‘एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक नहीं होता है.’
रिसर्च में सामने आई ये बात
पिछले एक साल में एम्स में फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में ‘Covid-19 पॉजिटिव मेडिको-लीगल’ मामलों पर एक अध्ययन किया गया था. इन मामलों में पोस्टमॉर्टम किया गया था. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से पार्थिव शरीर से तरल पदार्थ को बाहर आने से रोकने के लिए नाक और मुंह को बंद किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एहतियात के तौर पर ऐसे शवों को संभालने वाले लोगों को मास्क, दस्ताने और पीपीई किट पहननी चाहिए.
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एक साल पहले दी थी ये सलाह
डा. गुप्ता ने कहा, ‘अस्थियों और राख का संग्रह पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि अस्थियों से संक्रमण के फैलने का कोई खतरा नहीं है.’ आईसीएमआर ने मई 2020 में जारी ‘कोविड-19 से हुई मौत के मामलों में मेडिको-लीगल ऑटोप्सी के लिए मानक दिशानिर्देशों’ में सलाह दी थी कि कोविड-19 से मौत के मामलों में फॉरेंसिक पोस्टमार्टम के लिए चीर-फाड़ करने वाली तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मुर्दाघर के कर्मचारियों के अत्यधिक एहतियात बरतने के बावजूद, मृतक के शरीर में मौजूद लिक्विड के संपर्क में आने से इस जानलेवा रोग की चपेट में आने का खतरा हो सकता है.
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