बीजिंग: चीन (China) अपनी विस्तारवादी आदतों से बाज नहीं आ रहा है. कोरोना (Coronavirus) महामारी के बीच भी वह पराई भूमि को अपना बनाने की कोशिशों में लगा है. बीजिंग भूटान (Bhutan) में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, वो ऐसे इलाके में सड़कों का नेटवर्क, सैन्य चौकियां और गांव बसा रहा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक रूप से भूटान का समझा जाता है. जानकारों का मानना है कि चीन की यह हरकत एक तरह से भारत को घेरने की कोशिशों का हिस्सा है. 

Bhutan का हिस्सा है Gyalaphug

फॉरन पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन भूटान घाटी में चीन 2015 से ही इस हरकत को अंजाम दे रहा है, लेकिन अब उसकी गतिविधियां तेज हो गई हैं. बीजिंग ने 2015 में ऐलान किया था कि वह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के दक्षिण में ग्यालफुग (Gyalaphug) गांव बसा रहा है. हालांकि ग्यालफुग भूटान में है और इसे बसाने के लिए चीनी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का अतिक्रमण किया है.

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Chinese Officers मनाते हैं जश्न 

चीन ने 1980 से 232 स्क्वेयर मील इलाके पर दावा कर रखा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय तौर पर भूटान के लूंटसे (Lhuntse) जिले का हिस्सा समझा जाता है. चीनी अधिकारी दुनिया से छिपकर यहां जश्न मनाने जाते रहे हैं. 2017 से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) तिब्बत के सीमाक्षेत्र पर निर्माण करा रहे हैं. इसे भारत के साथ हिमालय में तनाव का परिणाम माना जाता है. 

यह है China का Plan

रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन का मकसद भूटान पर दबाव बनाकर भविष्य में उसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार की योजना है कि यदि भारत से संघर्ष होता है, तो वह उसके मुकाबले के लिए भूटानी भूमि का इस्तेमाल करे. इसलिए वह अपनी विस्तारवादी नीति को अंजाम दे रहा है. बता दें कि भूटान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वहां दाखिल होने पर चीनी सेना को भारत के साथ संघर्ष में बढ़त मिल सकती है.

अन्य Villages पर भी नजर 

ग्यालाफूग के अलावा दो अन्य गांवों पर चीन की नजर है, जिनमें से एक में निर्माणकार्य भी चल रहा है. यहां 66 मील की नई सड़कें, हाइड्रोपावर स्टेशन, प्रशासनिक केंद्र, सैन्य बेस सहित काफी कुछ बनाया जा रहा है. चीन इसे तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन (TAR) का क्षेत्र बता रहा है, जबकि यह इलाका उत्तरी भूटान में आता है. गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले भी भूटान में चीनी घुसपैठ की खबरें आई थीं.