नई दिल्ली: अब हम आपको एक तस्वीर दिखाना चाहते हैं, जो सोशल मीडिय पर काफी वायरल है. ये तस्वीरें छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सूरजपुर की हैं, जिनमें आप जिले के उस समय के कलेक्टर रणवीर शर्मा (Ranbir Sharma) को एक व्यक्ति के साथ मारपीट करते हुए देख सकते हैं. 22 मई को हुई इस घटना के दौरान सूरजपुर जिले के पूर्व डीएम रणवीर शर्मा ने इस व्यक्ति का मोबाइल फोन ना सिर्फ उससे छीन कर तोड़ दिया बल्कि उसे एक थप्पड़ भी मारा.

वीडियो वायरल होने पर CM ने की कार्रवाई

इसके बाद वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने भी इस व्यक्ति के साथ मारपीट की. जिस व्यक्ति के साथ ये सब घटना हुई, वो असल में दवाई लेने अपने घर से बाहर निकला था. उसने दवाई का पर्चा भी डीएम को दिखाया, लेकिन वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हुए और उसका फोन नीचे पटक कर तोड़ दिया. इस घटना का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो डीएम को राज्य सरकार ने तुरंत उनके पद से हटा दिया. लेकिन इस घटना ने कई गम्भीर प्रश्न खड़े कर दिए. 

त्रिपुरा के डीएम का वीडियो भी हुआ था वायरल

आपको याद होगा पिछले दिनों त्रिपुरा से भी एक ऐसा वीडियो आया था, जिसमें वहां के उस समय के डीएम एक शादी समारोह में लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते नजर आए थे. उन्होंने शादी समारोह रुकवा दिया था. इस घटना की भी काफी चर्चा हुई थी. इस तरह की घटनाएं हमारे देश में नई नहीं है. लेकिन जो बड़ा सवाल है वो ये कि क्या जिले का कलेक्टर या कोई बड़ा सरकारी अधिकारी और पुलिसवाला आपको राह चलते थप्पड़ मार सकता है? क्या उसे ये अधिकार है, आज हम इसी सवाल का विश्लेषण करेंगे.

क्या कोई अधिकारी आपको थप्पड़ मार सकता है?

इस सवाल का जवाब ये है कि कोई भी सरकारी अधिकारी चाहे वो जिले का कलेक्टर ही क्यों ना हो, आपके साथ बल प्रयोग नहीं कर सकता. नियमों का उल्लंघन करने पर भी पुलिस या सरकारी अफसर कानून के तहत कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन मारपीट की इजाजत कानून नहीं देता. इसके अलावा मौजूदा समय में अगर आपके शहर में लॉकडाउन लगा हुआ है, लेकिन आपके पास बाहर निकलने की ठोस वजह है. जैसे घर में कोई व्यक्ति बीमार है और उसे अस्पताल ले जाना है या उसके लिए बाहर से दवाई लानी है तो ऐसी स्थिति में आप बाहर जा सकते हैं. सरकार इसकी छूट देती है. लेकिन अगर पुलिस जांच करती है और उसे ये पता चलता है कि आपके द्वारा बताई गई जानकारी गलत है और आपने झूठ बोला है तो आपके खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई हो सकती है. हालांकि इस स्थिति में भी कोई भी सरकारी अधिकारी आपके साथ मारपीट नहीं कर सकता. यानी इस मामले में जो हुआ, वो गलत था.

किन परिस्थितियों में कानूनी बल प्रयोग की अनुमति

अगर पुलिस अधिकारी के पास आपको गिरफ्तार करने का वॉरेंट (Warrant) है, या आप किसी सरकारी अधिकारी के काम में बाधा डालते हैं तो ऐसी स्थिति में वो बल प्रयोग कर सकता है. ऐसी स्थिति में भी बल प्रयोग को कानून उचित मानता है. इसके अलावा अगर व्यक्ति कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन जाए या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे तो भी बल प्रयोग हो सकता है. 

आम जनता आज भी अपनी शक्तियों से अनभिज्ञ

त्रिपुरा की घटना की बात करें या फिर छत्तीसगढ़ की इस घटना की, इन दोनों ही मामलों में बल प्रयोग की आवश्यकता नहीं थी. असल में पुलिस और प्रशासन लोगों की मदद के लिए होते हैं लेकिन हमारे देश में लोग पुलिस और प्रशासन से काफी डरते हैं और इस डर की वजह इस तरह की घटनाएं ही हैं. अक्सर आपने लोगों को ये कहते सुना होगा कि पुलिस के चक्कर में कौन पड़े. या अगर कोई व्यक्ति किसी पुलिसकर्मी या बड़े सरकारी अफसर को जानता है तो वो उसकी धौंस दिखा कर दूसरे लोगों को डराता है, और लोग डर भी जाते हैं. यही कड़वा सच है. जबकि आम नागरिक की शक्तियां कम नहीं होती. वो चाहे तो मारपीट की घटनाओं की शिकायत कर सकते हैं. क्योंकि कानून सबके लिए बराबर है.

मारपीट करने पर अफसर के खिलाफ करें कार्रवाई

अगर आपके साथ कोई पुलिसकर्मी या सरकारी अधिकारी दुर्व्यवहार करता है, तो आप अपने नजदीकी थाने में उस पुलिसकर्मी या अधिकारी के खिलाफ IPC की धारा 323, 504, 506 और 330 के तहत FIR दर्ज करा सकते हैं. अगर पुलिस थाने में आपकी FIR को दर्ज करने से मना किया जाता है तो आप जिले के डीएम को CRPC के सेक्शन 200 के तहत एक शिकायत भी भेज सकते हैं. इस शिकायत पर डीएम आरोपी पुलिसकर्मी या अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कर सकता है. लेकिन अगर शिकायत डीएम यानी जिले के कलेक्टर के खिलाफ करनी है तो भी आप पुलिस थाने में जा सकते हैं. इसके अलावा जिस कलेक्टर के खिलाफ शिकायत है, वो कभी खुद अपने खिलाफ जांच नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में जांच दूसरे जिले के कलेक्टर या उसी रैंक के अधिकारी को सौंपी जाती है.

ह्यूमन राइट्स कमीशन से भी कर सकते हैं शिकायत

इसके अलावा आप राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में भी ये मामला ले जा सकते हैं. इसका गठन वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा दिए गए निर्देशों पर हुआ था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशासनिक शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक ऐसा सिस्टम और विभाग होना चाहिए, जहां आम नागरिक सिस्टम में बैठे लोगों के खिलाफ अपनी आवाज रख सके. इसके अलावा स्टेट नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (State National Human Rights Commission) में भी आप शिकायत कर सकते हैं. हालांकि इन घटनाओं के बाद हमारे देश के बड़े सरकारी अफसरों के व्यवहार पर भी सवाल खड़े हुए हैं. कोई भी IAS ऑफिसर एक दिन की मेहनत से नहीं बनता. बल्कि उसे साबित करना पड़ता है कि वो हर स्थिति के लिए तैयार है. एक आईएएस ऑफिसर से हमेशा उच्च स्तरीय व्यवहार की अपेक्षी की जाती है. इसके भी कई कारण हैं.

किस तरह चुना जाता है जिले का कलेक्टर?

हर वर्ष लगभग 10 लाख छात्र UPSC की परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन परीक्षा में बैठ पाते हैं लगभग साढ़े पांच लाख. यानी साढ़े चार लाख छात्र तो रेस में शामिल होने से पहले ही बाहर हो जाते हैं. अब जो साढ़े पांच लाख छात्र UPSC की परीक्षा देने के लिए योग्य होते हैं, उनमें ये मात्र लगभग 10 से 15 हजार छात्र ही Mains की परीक्षा तक पहुंच पाते हैं. फिर Mains की परीक्षा के बाद ये संख्या घट कर 2 से 3 हजार के बीच रह जाती है. ये वो छात्र होते हैं जो इंटरव्यू तक पहुंच पाते हैं. इंटरव्यू यूपीएससी परीक्षा पास करने का आखिरी पड़ाव है. इस आखिरी पड़ाव को सिर्फ एक हजार छात्र ही पार कर पाते हैं. यानी हर साल 10 लाख छात्र जिस UPSC परीक्षा को पास करने का सपना देखते हैं, उस सपने को साकार सिर्फ 1 हजार छात्र ही कर पाते हैं. इस हिसाब से देखें तो इस परीक्षा का सक्सेस रेट 0.5 से भी कम है.

जैसे 2019 में 8 लाख छात्रों ने यूपीएससी परीक्षा के लिए आवेदन दिया, जिनमें से 5 लाख ही परीक्षा दे पाए. मेन्स की परीक्षा तक लगभग 11 हजार छात्र पहुंचे और इंटरव्यू पास कर पाए 829. यानी 8 लाख में से केवल 800 छात्र ही इस परीक्षा को पास कर पाए. देश का आईएएस ऑफिसर बनने के लिए किसी भी छात्र को UPSC की 32 घंटे की परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है. लेकिन इस 32 घंटे की परीक्षा को पास करने के लिए कई छात्र अपने जिन्दगी के कई वर्ष लगाते हैं. यानी ये परीक्षा सिर्फ देश को एक आईएएस ऑफिसर ही नहीं देती, बल्कि इस परीक्षा से हमें जो अधिकारी मिलते हैं, वो इस देश के सिस्टम को चलाते हैं. और व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी उन पर ही होती है.

पढ़-लिखकर परीक्षा पास होती है, सोच नहीं बदलती

लेकिन जब वो इस तरह का व्यवहार करते हैं तो ये समझ आता है कि आप पढ़ लिख कर परीक्षा तो पास कर सकते हैं, लेकिन इससे खुद को और अपनी सोच को नहीं बदल सकते. आज हमने आम जनता को उसके अधिकार और उसकी शक्तियां याद दिलाने के लिए ही ये खबर तैयार की है. आपको पता होना चाहिए कि आपको कोई भी मार नहीं सकता. और अगर कोई ऐसा करता है तो आप कानून के तहत कड़े कदम उठाते सकते हैं.

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