मुंबई: कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) ने लाखों लोगों को असमय मौत की नींद सुला दिया. किसी से अपनी मां खोई तो किसी ने पिता को वहीं कुछ ऐसे मामले भी सामने आए जहां मां और बाप दोनों की कोरोना से मौत हो गई. इस बीमारी की वजह से पता नहीं कितने बच्चे अनाथ हो गए, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. महामारी का शिकार बने कुछ बच्चे इतने छोटे हैं कि अपना ध्यान तक नहीं रख सकते. ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र (Maharashtra) के धुले (Dhule) शहर में सामने आया है.
समाज के लोग बने मसीहा
धुले सिटी में रहने वाले गोकुल और जयमाला का एक खुशहाल परिवार था. इनके एक बेटा और एक बेटी यानी दो बच्चे थे. गोकुल एक संस्था के लिए पैसे जमा करने का काम करता था. परिवार भी ठीक-ठाक चल रहा था कि अप्रैल में गोकुल को कोरोना हो गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. कुछ समय बाद पत्नी जयमाला को भी कोरोना हुआ और वो भी दुनिया छोड़ कर चल बसीं. दोनों की मौत के बाद परिवार में सिर्फ बच्चे रह गए हैं. उनकी बेटी 12वीं क्लास में पढाई कर रही है जिसका छोटा भाई 7वीं का छात्र हैं. मां-बाप के निधन के बाद अब बच्चे अपने मामा के साथ रह रहे हैं.
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गोकुल बनिया बिरादरी से थे जिन पर 13 लाख रुपयों का कर्ज था. जब ये बात उनके समाज के लोगों को पला चली तो उन्होंने मदद के नाम पर 12 लाख जुटा कर परिवार को सौंपे. बच्चों को समाज से मिली ये रकम पुराने कर्ज को चुकाने में खत्म हो जाएगी. ऐसे में दोनों बच्चों का खर्च कैसे चलेगा और आखिर कब तक समाज के लोग उनकी मदद करेंगे ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है.
देश भर में ऐसे कई मासूम हैं जो कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान अनाथ हो गए. अब वो अपने जीवन को कैसे आगे ले जाएंगे, कौन उनका सहारा बनेगा और कौन उनकी इस जीवन रूपी मझधार की नईया को किनारे तक ले जाएगा, ऐसे सवालों का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है. देश में कुछ राज्यों की सरकारें अनाथ हुए बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए योजनाएं बना रही हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है शायद इन मासूम बच्चों के लिए कोई रास्ता निकल आए.
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