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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हाल में समाप्त हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर लगे कई कर्मियों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. चुनावी ड्यूटी में तैनाती के दौरान संक्रमित होकर जान गंवाने वाले ऐसे कर्मचारियों को आर्थिक सहायता दिलाने के काम को योगी सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता घोषित कर दिया है.

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अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों से चुनाव प्रशिक्षण व ड्यूटी में जान गंवाने या घायल होने वाले कर्मियों का तीन दिन के भीतर विस्तृत ब्यौरा व आर्थिक सहायता का प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराने को कहा है. आपको बता दें कि कई लोकल अखबारों ने जान गंवाने वाले ऐसे कर्मियों की संख्या 800 के करीब बताई है.

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पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को जारी अपने आदेश में कहा है कि चुनाव कार्यों के दौरान मृत कर्मियों के संबंध में निर्वाचन ड्यूटी का प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, एफआईआर की प्रति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, कोरोना से मौत की दशा में एंटीजन/आरटीपीसीआर रिपोर्ट तथा स्थायी दिव्यांगता की दशा में सीएमओ/सीएमएस द्वारा जारी प्रमाण पत्र व अन्य आवश्यक अभिलेख उपलब्ध कराया जाए.

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उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा है कि चुनाव ड्यूटी में कर्मी के अनुरोध पर अथवा अन्य कारण से छूट दिए जाने की दशा में यदि कोई परिवर्तन हुआ तो उस आदेश की प्रति भी दी जाए. राज्य सरकार द्वारा चुनाव प्रशिक्षण, मतदान व मतगणना के दौरान असामयिक दुर्घटना में कर्मी के मृत्यु की दशा में उसके ​परिवार को 15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की व्यवस्था की गई है.

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किसी असामयिक आतंकवादी हिंसा (असामाजिक तत्वों द्वारा हत्या, रोड माइंस, बम ब्लास्ट, हथियारों से आक्रमण) व कोरोना से मृत्यु पर 30 लाख की सहायता देने की व्यवस्था की गई है. पूर्ण दिव्यांगता की दशा में 15 लाख तथा अन्य कारण से घटित दुर्घटना में किसी अंग की स्थायी दिव्यांगता पर 7.50 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है.

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