News in Brief

नई दिल्लीः देश में कोरोना के खिलाफ लड़ रहे फ्रंटलाइन वर्कर्स डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और पुलिस आदि को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है. लेकिन दिल्ली में एक डॉक्टर की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है, जबकि डॉक्टर ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज मार्च में ही ले ली थीं. कोरोना वैक्सीन लेने के बावजूद डॉक्टर की मौत से लोग हैरान हैं. 

क्या है मामला
डॉ. अनिल कुमार रावत दिल्ली के सरोज अस्पताल में सर्जन थे और इसी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. अस्पताल के सीईओ डॉ. पी के भारद्वाज का कहना है कि डॉ. रावत को मार्च में ही कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज लग गई थी. डॉ. रावत साल 1996 से ही सरोज अस्पताल में बतौर सर्जन काम कर रहे थे. उन्होंने दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से अपनी एमएस की पढ़ाई की थी. 

शुरुआत में घर में ही हो रहा था इलाज
डॉ. रावत 10-12 दिन पहले कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, शुरुआत में डॉ. रावत अपने घर पर ही आइसोलेट थे लेकिन बाद में उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान ही डॉ. अनिल रावत की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और शनिवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया. 

डॉ. रावत को था ठीक होने का यकीन
डॉ. रावत को अपने ठीक होने का पूरा यकीन था. उनका इलाज करने वाले डॉ. आकाश जैन ने बताया कि दो दिन पहले उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई. जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. डॉ. जैन ने बताया कि जब उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जा रहा था तो उन्होंने मुझसे कहा था कि ‘मैं ठीक हो जाऊंगा क्योंकि मेरा टीकाकरण हो चुका है.’ डॉ. रावत के परिवार में पत्नी और बेटी है. उनकी पत्नी भी सरोज अस्पताल में गाइनेकोलॉजी की डॉक्टर हैं. 

वहीं डॉ. रावत के निधन से मेडिकल कर्मचारी हैरान हैं. दरअसल कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद कोरोना संक्रमण से मौत के मामले काफी दुर्लभ हैं. मेडिकल कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं लेकिन वह ठीक हो जा रहे हैं. लेकिन डॉ. रावत के निधन से मेडिकल कर्मचारियों और डॉक्टर्स को बड़ा झटका लगा है. 

दिल्ली सरकार ने अपने ताजा मेडिकल बुलेटिन में  बताया है कि दिल्ली में 37,46,494 लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है. इनमें से 8,21,786 लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं.