News in Brief

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

वर्ष 2019-20 के लिए हाई रिजॉल्यूशन इमिशन इन्वेंटरी (400) जारी की गई

नीति निर्माताओं की सहायता के लिए पुणे-पिंपरी और चिंचवाड़ क्षेत्र में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत का मानचित्र बनाया गया

Posted On: 21 MAY 2021 6:46PM by PIB Delhi

पुणे में वायु गुणवत्ता में उत्सर्जन के विभिन्न स्रोतों के अंशदान को समझने के लिए सर्वाधिक प्रतीक्षित पुणे उत्सर्जन वस्तुसूची (पुणे इमीशनइन्वेंट्री रिपोर्ट) को एसपीपीयू विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रोफेसर नितिन कल्‍मारकर ने जारी किया है। अंतिम उत्पाद से 08 प्रमुख प्रदूषक कारकों- पीएम2.5, पीएम10, एनओx, सीओ, एसओ2, बीसी, एचसी के लिए 400mx400m के ग्रिड में प्रदूषण के प्रत्येक स्रोत का विवरण प्राप्त हुआ है। इस रिपोर्ट को आईआईटीएम के निदेशक प्रोफेसर रवि नन्जुन्दैया, प्रमुख लेखक और एसएएफएआर (सफर) के संस्थापक परियोजना निदेशक प्रोफेसर गुर्फान बेग, भारतीय उष्णदेशीय मौसमविज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के डॉ. बी.एस. मूर्ति और विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान विभाग, एसपीपीयू प्रोफेसर गोसावी की उपस्थिति में जारी किया गया।

इस उत्सर्जन वस्तुसूची अभियान को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) ने एसपीपीयू पुणे के साथ मिलकर उत्कल विश्व विद्यालय के प्रोफेसर सरोज कुमार के परामर्श से चलाया था। 400 मीटर ग्रिड उत्पादों को विकसित करने के लिए आईआईटीएम के विज्ञानिकों द्वारा विकसित भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित सांख्यिकीय उत्सर्जन प्रतिदर्श (स्टेटिसटीकल इमीशन मॉडल) का प्रयोग किया गया था।

पुणे महानगरीय क्षेत्र में पुणे, पिंपरी और चिंचवाड़ में लगभग 02 लाख 50 हजार घंटे काम करके वर्ष 2019-20 में लगभग 06 माह के लिए उत्सर्जन वस्तुसूची अभियान चलाया गया था जिसमे आईआईटीएम, एसपीपीयू और उत्कल विश्व विद्यालयों के 200 से अधिक छात्रों को शामिल किया गया। ऐसा वायु प्रदूषण के 26 विभिन्न स्थानीय स्रोतों से वास्तविक प्राथमिक समयमान सक्रिय आंकड़े (रियलटाइम प्राइमरी एक्टिव डेटा) एकत्र करने के लिए किया गया था।

क्रियाशील अंकेक्षण प्राप्त करने के लिए क्लिक काउन्टर, कम आयतन प्रतिदर्शों (लो वोल्यूम सैम्प्लर्स) और विभिन्न सर्वेक्षण प्रारूपों का प्रयोग किया गया। इससे पहले वर्ष 2012-13 में 01 किमी रिजौल्यूशन के साथ एसएएफएआर प्रणाली शुरू करते समय ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई थी। तब से अब तक भूमि के उपयोग और जनसंख्या के घनत्व और कई नए स्रोतों में ऐसे बड़े बदलाव आ चुके हैं जिन्हें तब अनदेखा कर दिया गया था, किन्तु अब उन कारकों का भी इस बार संज्ञान लिया गया है। इमीशन इन्वेंट्री स्थानीय स्रोतों के बढ़े हुए अंशदान और पीएमआर सदृश निर्धारित सीमा के अंदर इन कारकों के क्षेत्र विशेष में वितरण की पहचान करने का वैज्ञानिक तरीका है। साथ ही यह हॉट स्पॉट को चिह्नित करने और इसके नियन्त्र की योजना बनाने का भी एक प्रभावी उपकरण है।

वर्तमान अभियान सड़कों की स्थिति, आसपास के क्षेत्रों से आने वाले यातायात के प्रवाह का प्रारूप, तेज गति, धीमी गति– रुका हुआ यातायात, बिना जानकारी वाला क्षेत्र, निर्माण गतिविधियाँ, हवाई यातायात, प्रवासी श्रमिकों की दिनचर्या और व्यवहार, अस्पतालों की भीड़, बाहरी राज्यों से आने वाले वाहन, बदलती जीवन शैली/भोजन पकाने की आदतें जैसे विभिन्न स्थानीय प्रखंडों/कारकों पर अधिक केन्द्रित रहा। यह परिवहन, उद्योग, आवासों में भोजन तैयार करने, बिजली, निलम्बित धूल, खेतों में फसलों के अवशेषों को जला देने जैसे परम्परागत प्रमुख क्षेत्रों से इतर के क्षेत्र होंगे।

इस उत्सर्जन रिपोर्ट की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

पीएमआर में वर्तमान इन्वेंट्री (वर्ष 2019-20) की तुलना पिछली रिपोर्ट (वर्ष 2012-13) से करने पर यह पता चलता है कि पुणे के उत्सर्जन भार में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है। पुणे की वायु गुणवत्ता को मुख्यतः  धूल के कण (पार्टीकुलेट पोल्युतेंट्स) (पीएम2.5 और पीएम10) नियंत्रित करते हैं। पिछले सात वर्षों में पार्टीकुलेट पोल्युतेंट्स के उत्सर्जन में अत्यधिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 से 2019-20 की अवधि में पीएम2.5 और पीएम10 में क्रमशः 70 प्रतिशत और 61 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। पिछले दशक में पीएमआर में वाहनों की संख्या नै अत्यधिक वृद्धि हुई है। शेष स्रोतों की तुलना में पीएम2.5 उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान पाया गया है। हालांकि पिछले वर्षों में औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है, किन्तु अन्य क्षेत्रों की तुलना में इस क्षेत्र का योगदान बहुत कम बढ़ा है। ऐसा औद्योगिक संयंत्रों में परिष्कृत ईंधन के प्रयोग, सक्षम प्रौद्योगिक नवाचारों और मानकों के कड़ाई से पालन के कारण हुआ होगा। इसी तरह से जैविक कार्बन (81.3%), एनओएक्स (72.8%) और वीओसी (69.8%) के उत्सर्जन में वृद्धि देखी गई है। इस परियोजना में शामिल किए गए इन सभी आठों उत्सर्जन कारकों में सबसे कम 30.2 वृद्धि का उत्सर्जन सल्फर डाई ऑक्साइड का रहा है।

सफर- एसएएफएआर द्वारा दिए गए ऐसे उच्च विश्लेष्ण (रिजॉल्युशनन) पूर्वानुमान वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एनसीएपी कार्यक्रम के लिए एक अत्यावश्यक सूचना आधार का काम करेंगे। यह रिपोर्ट पिछले सात वर्षों के दौरान वायुमंडल के घटकों में मानवोद्भविक उत्सर्जन (ऐन्थ्रोपोजेनिक इमीशन) की दर आए परिवर्तन को भी परिलक्षित करती है।

पिछले सात वर्षों में पीएम10  और पीएम2.5 की प्रतिशतता में हुआ परिवर्तन

क्षेत्र

पीएम10

पीएम2.5

परिवहन

↑ 87.9 %

↑ 91.0 %

औद्योगिक

↑ 33.8 %

↑ 32.9 %

आवासीय *

↑ 107.7 %

↑ 57.9 %

डब्ल्यूबीआर डस्ट

↑ 49.5 %

↑ 38.1 %

अन्य#

एनए$

एनए$

कुल योग

↑ 61.3 %

↑ 70.0 %

*आवासीय क्षेत्र –आवासीय भोजन तैयार करना, मलिनबस्ती, फसलों के अवशेषों का जलाना, गोबर के उपले, रेहड़ी-पटरी विक्रेता, घरेलू. लकड़ी जलाना इत्यादि, # अन्य क्षेत्र- एमएसडब्ल्यू संयंत्र, एमएसडब्ल्यू खुले में जलाना, अंत्येष्टि स्थल, हवाई यातायात, अगरबत्तियां, ईंट भट्टे, इत्यादि, डब्ल्यूबीआर डस्ट- हवा चलना, रि-सस्पेंडेड डस्ट, # कई स्रोत नए जोड़े गए हैं अतः उनकी वृद्धि दिखाना इतना युक्तिसंगत नहीं है।

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