वॉशिंगटन: इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) के बीच 11 दिनों की जंग के बाद हुए संघर्ष विराम में अमेरिका (America) की प्रमुख भूमिका है. राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) लगातार इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के संपर्क में रहे और उन पर युद्ध समाप्त करने का दबाव बनाते रहे. संघर्ष विराम लागू होने से पहले नेतन्याहू ने बाइडेन को खुद फोन करके बताया था कि वह युद्ध समाप्त करने वाले हैं, लेकिन इसके बावजूद बाइडेन चिंतित थे कि आखिरी वक्त में बात न बिगड़ जाए. 

US को इस बात का था डर 

जो बाइडेन (Joe Biden) की चिंता को दूर करने के लिए व्हाइट हाउस के सहयोगियों ने इजरायल और मिस्र से यह पता लगाने के लिए फोन पर संपर्क किया कि संघर्ष विराम लागू होगा या नहीं. इस संबंध में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिका और इजरायल के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित थे कि हमास की ओर से फिर से रॉकेट दागे जाने से मिस्र की मध्यस्थता में हुए समझौते पर पानी फिर सकता है.

ये भी पढ़ें -नेपाल: विपक्ष से पहले ही ओली ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, राष्ट्रपति के पाले में गेंद

Biden ने 80 बार किया संपर्क

अमेरिकी राष्ट्रपति की चिंता को देखते हुए बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने उन्हें फिर फोन करके भरोसा दिलाया कि सीजफायर होने वाला है. इसी के साथ बाइडेन के सामने राष्ट्रपति बनने के बाद आया पहला विदेश नीति संकट समाप्त हो गया. उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर इस संकट को निपटाया. व्हाइट हाउस ने बताया कि इस दौरान बाइडेन और उनके वरिष्ठ सहयोगियों ने फोन के जरिए बात कर या व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर 80 बार संपर्क किए, ताकि युद्ध को विराम लग सके.

‘Iron Dome ने कम किया नुकसान’ 

संघर्ष विराम की खुशी में दिए गए अपने साढ़े तीन मिनट के भाषण में बाइडेन ने दोहराया कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. उन्होंने इजरायली बमबारी में मारे गए फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए शोक व्यक्त किया और वादा किया कि गाजा पट्टी के लिए मानवीय मदद मुहैया कराई जाएगी. राष्ट्रपति ने कहा कि यदि अमेरिका द्वारा विकसित मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘आयरन डोम’ नहीं होती तो मृतकों की संख्या और अधिक हो सकती थी.

Isarel नीति में नहीं कोई बदलाव

जब बाइडेन से पूछा गया कि क्या अमेरिका की इजरायल नीति में कोई बदलाव आया है, तो उन्होंने कहा, ‘इजरायल की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में कोई बदलाव नहीं आया है. हम केवल समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं और इसी के प्रयास किए गए. मैं फिर यही कहूंगा कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है’. बता दें कि दोनों देशों में 11 दिनों तक चले खूनी संघर्ष में 240 से अधिक लोग मारे गए हैं.