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देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान और उत्तराखण्ड संगन्ध पौधा केन्द्र (कैप) सेलाकुई की योजनाओं की समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए एग्रीकल्चर एवं हार्टिकल्चर के साथ हर्बल उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए. किसानों की मदद कैसे की जा सकती है, इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने बनाये गये ‘गनिया’ हर्बल हैण्ड सेनिटाइजर को लांच किया.
जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियो को निर्देश दिये कि कुछ बड़े उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय. तीन-चार ऐसे उत्पाद चयनित किये जाएं, जिससे उत्तराखण्ड की देश में अलग पहचान बने. पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने एवं किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए उत्पादों को अलग पहचान देना जरूरी है. इसके लिए उत्पादों का चयन जल्द करें.
साथ ही यह सुनिश्चित किया जाय कि 06 माह के अन्दर परिणाम दिखने शुरू हो जाए. आर.डी.आई द्वारा आयुष विभाग की सहायता से जल्द एक हर्बल हीलिंग एवं वैलनेस सेंटर की स्थापना की हो. उत्तराखण्ड की हर्बल आधारित स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक किया जाए.
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उत्तराखण्ड संगंध पौधा केन्द्र की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि कैप के जो 109 कलस्टर बने हैं, उनमें से कई कलस्टर एच.आर.डी.आई के लिए भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं. एच.आर.डी.आई एवं कैप दोनों में वैल्यू चैन मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाए. भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का फायदा उठाने के लिए सटीक प्रोजक्ट बनाये जाएं. साथ ही 6 माह में हाईटैक नर्सरी के निर्माण, एरोमा पार्क नीति एवं इण्डस्ट्रियल एवं मेडिसनल हैम्प की नीति की दिशा में तेजी से काम किया जाए.
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बैठक में जानकारी दी गई कि उत्तराखण्ड संगंध पौध केन्द्र से प्रदेश के 21 हजार किसान जुड़े हैं. इसके अन्तर्गत परित्यक्त भूमि के पुनर्वास, बाउन्ड्री फसल के रूप में डैमस्क गुलाब का कृषिकरण, मिश्रित खेती के रूप में जापानी मिन्ट का कृषिकरण, वानिकी फसल के रूप में तेजपात के कृषिकरण एवं अल्प अवधि के रूप में कैमोमिल व अन्य फसलों के कृषिकरण की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.
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