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Jaipur: राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जल्द टाइगर सफारी शुरू होने वाली है. वन विभाग ने टाइगर सफारी के लिए टाइगर लाने की कवायद शुरू कर दी है. नाहरगढ़ टाइगर सफारी के लिए मध्य प्रदेश के गांधी जूलॉजिकल पार्क ग्वालियर से एक टाइगर लाया जाएगा. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति के बाद एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत टाइगर लाया जा रहा है. टाइगर के बदले में एक भेड़िए का जोड़ा, एक इंडियन फॉक्स का जोड़ा और एक पैंथर ग्वालियर भेजा जाएगा. करीब 10 दिनों में बाघ को जयपुर लाने की वन विभाग तैयारी कर रहा है. 

टाइगर सफारी के बाद जयपुर में हो जाएगी 4 सफारी
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में टाइगर सफारी शुरू होने के बाद जयपुर में चार सफारी हो जाएगी. जयपुर में झालाना लेपर्ड सफारी, आमागढ़ लेपर्ड सफारी, नाहरगढ़ लायन सफारी पहले से ही है और अब टाइगर सफारी भी शुरू होने जा रही है. इसको अमलीजामा पहनाने के लिए वन विभाग लगातार प्रयासरत है. नाहरगढ़ की लायन सफारी पहले से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है और अब टाइगर सफारी भी पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र रहेगी.

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में टाइगर सफारी विकसित की जाएगी. जेडीए की ओर से 1 साल में टाइगर सफारी का काम पूरा कर लिया जाएगा. सफारी के लिए टाइगर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है और आने वाले दिनों में एक मेल टाइगर ग्वालियर चिड़ियाघर से लाया जा रहा है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन मिल गई है और इसके अलावा दो फीमेल टाइगर नागपुर से लाने का प्रयास किया जा रहा है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन मिलते ही नागपुर से दो फीमेल टाइगर लाए जाएंगे.

जगदीश गुप्ता ने बताया कि इंडियन वुल्फ की देश के अन्य चिड़ियाघरों में काफी डिमांड रहती है. जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में इंडियन वुल्फ का सफल प्रजनन हुआ है. नाहरगढ़ पार्क में इंडियन बुल्स अच्छी तादाद में है. इंडियन वुल्फ के बदले कोई भी वन्यजीव बड़ी आसानी से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मिल जाता है, हर साल नाहरगढ़ पार्क में इंडियन वुल्फ का सफल प्रजनन होता है. 

30 हेक्टेयर में विकसित होगी टाइगर सफारी
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में करीब 30 हेक्टेयर एरिया में टाइगर सफारी विकसित की जाएगी. सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियमों के अनुसार 5 फीट ऊंची फेंसिंग की जाएगी और 30 हेक्टेयर क्षेत्र में चारों तरफ फेंसिंग की जाएगी. 10 नाइट शेल्टर तैयार किए जा रहे, जिसे रात्रि के समय वन्यजीव को रखा जाएगा. 

करीब 8 किलोमीटर लंबा टाइगर सफारी ट्रैक बनाया जाएगा. वन्यजीवों के पानी पीने के लिए वाटर बॉडीज बनाई जा रही. टाइगर सफारी में छायादार पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, जिससे पूरे 12 महीने हरियाली बनी रहे. जूली फ्लोरा का उन्मूलन करने के बाद ग्रास लैंड भी विकसित की जाएगी, सफारी में टाइगर स्वच्छंद रूप से वातावरण का लुत्फ उठा सकेंगे.

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