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सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में अपनी नियुक्ति को लेकर उठे विवाद पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को मेरी नियुक्ति में गड़बड़ी दिखाई देती है, किसी प्रकार की दिक्कत लगती है तो वह कोर्ट में इसे चैलेंज करे.

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सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अरुण दिवेदी की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया समेत तमाम विपक्षी दलों और नेताओं द्वारा सवाल  खड़े किए गए हैं. इस पद पर अरुण दिवेदी का चयन EWS (Economicaly Weaker Section) कोटे में हुआ है. आरोप लगा रहा है कि मंत्री के भाई का EWS सर्टिफिकेट नियमों को ताक पर रखकर जारी किया गया है. 

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जबकि अरुण द्विवेदी का कहना है कि उनकी नियुक्ति और इसकी सारी प्रक्रिया नियमों के अनुसार हुई है. अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए अरुण द्विवेदी कहते हैं कि मंत्री का भाई होना मेरे लिए अभिशाप हो गया है. मेरी भी अपनी पर्सनल लाइफ है. साल 2016 में डीआईपीआर-डीआरडीओ (Defence Institute of Psychological Research- DRDO) से पीएचडी करने के बाद ही उन्होंने यहां पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था.

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साल 2019-20 में वैकेंसी आने के बाद उन्होंने मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन किया और उस समय जरूरत के सारे डॉक्यूमेंट उन्होंने लगाए गए जो विश्वविद्यालय प्रशासन के पास मौजूद हैं. EWS सर्टिफिकेट के बारे में उन्होंने कहा कि यह सारे नियमों के अनुसार ही बना है. इस सर्टिफिकेट के लिए सरकार की जो गाइडलाइन है उसके लिए वह एलिजिबल हैं. 

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अरुण द्विवेदी ने कहा कि अगर किसी को दिक्कत है तो वह उनकी नियुक्ति को चैलेंज करे. वह सही जगह पर इसका जवाब देंगे. अपनी पारिवारिक हैसियत के बारे में उन्होंने कहा कि उनके पास जो पैतृक संपत्ति है वह भी EWS सर्टिफिकेट के लिए जारी गाइडलाइन और क्राइटेरिया से काफी कम है. उनके नाम से कहीं पर भी कोई फर्म नहीं है जिसकी लोग बात कर रहे हैं.

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