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वाराणसी: मशहूर भारतीय शास्त्रीय संगीत गायक और पद्मविभूषण से नवाजे गए पंडित छन्नूलाल मिश्र की बेटी संगीता का बीते 29 अप्रैल की रात वाराणसी के मेडविन अस्पताल में निधन हो गया था. वह कोरोना वायरस से संक्रमित थीं. छन्नूलाल मिश्र और उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि निजी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से उनकी बेटी की जान गई. परिजन इस मामले में जांच की मांग कर रहे हैं. 

सीसीटीवी फुटेज दिखाने की मांग
घटना के 20 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से पंडित छन्नूलाल मिश्र नाराज हैं. वह हॉस्पिटल में अपनी बेटी के एडमिट होने के दरम्यान के सीसीटीवी फुटेज की मांग कर रहे हैं. परिजनों का कहना है कि 24 अप्रैल को जब संगीता मिश्र को मेडविन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उस वक्त रिसेप्शन पर परिवार को एक बार संगीता को दिखाया गया था. लेकिन अब अस्पताल मना कर रहा है कि हमारे यहां पिछले एक साल से सीसीटीवी नहीं है.

पीएम मोदी ने किया था फोन
आपको बता दें कि 26 अप्रैल को छन्नूलाल मिश्रा की पत्नी की मौत भी कोरोना से हो गई थी. पीएम मोदी ने 28 अप्रैल को छन्नूलाल मिश्रा को फोन कर पत्नी की मौत पर शोक संवेदना व्यक्त की थी. उस वक्त छन्नूलाल मिश्रा ने पीएम मोदी से कहा कि मेरी बड़ी बेटी भी अस्पताल में भर्ती हैं. उनसे बात नहीं हो पा रही है. पीएम से कहने के बाद रात 8 बजे अस्पताल प्रशासन ने वीडियो कॉल से उनकी बातचीत संगीता से कराई.

मुझे बस इंसाफ चाहिए: छन्नूलाल
छन्नूलाल मिश्रा ने वाराणसी कोतवाली में अस्पताल के खिलाफ तहरीर दी थी. वाराणसी प्रशासन ने उनकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए एक जांच समिति का गठन किया था.  
लेकिन 20 दिन बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है. जी मीडियो से बातचीत करते हुए पंडित छन्नूलाल मिश्रा की आंखों में आंसू थे. उन्होंने कहा, ”इलाही कोई तमन्ना नहीं जमाने में, मैं सारी उम्र गुजारी है अपने गाने में.” मैंने किसी से कुछ नहीं माँगा है, मैं अभी भी कुछ नहीं मांग रहा हूं. बस मुझे इंसाफ चाहिए.

अस्पताल पर वसूली का आरोप
छन्नूलाल मिश्रा और उनके परिवार का आरोप है कि मेडविन अस्पताल में अंतिम बार उनकी बेटी संगीता के शव का चेहरा दिखाने के लिए 25 हजार रुपए मांगे गए. भर्ती कराते समय ही 1.5 लाख रुपए जमा किए गए थे, अस्पताल ने और 4 लाख रुपए की मांग की है. परिवार का आरोप रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए 40000 रुपए लिए गए. हॉस्पिटल मालिक डॉ. मनमोहन श्याम का कहना है कि इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई. मरीज को सीरियस कंडीशन में लाया गया था, ऑक्सीजन लेवल 72 था. हमने पूरी कोशिश की लेकिन उन्हें बचा सके.

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