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Patna: कोरोना वायरस के दूसरी लहर में पूरे देश की तुलना में बिहार में डॉक्टरों की सबसे ज्यादा मौत हुई है. डॉक्टरों की मौत के आंकड़े ने ना सिर्फ डॉक्टरों की बल्कि सरकार की भी नींद उड़ा दी है.

दूसरी लहर में अब तक 100 डॉक्टरों की मौत कोरोना से हो चुकी है जिसमें सूबे के बेहद नामी और एक्सपर्ट डॉक्टर्स शामिल है. वहीं साल 2020 के पहली लहर में भी सूबे के 40 डॉक्टरों ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया था.

अब ऐसे में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर IMA हरकत में आया है और संस्थान ने 12 सदस्यीय टीम बनाई है ताकि पता किया जा सके कि इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टरों की मौत की वजह क्या रही है और कहां चूक हुई है. वहीं दूसरी तरफ डॉक्टरों की मौत पर राजनीति भी तेज हो गई है.

IMA की 12 सदस्यीय टीम करेगी डॉक्टरों की मौत की जांच
कोरोना ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. प्रदेश में लगातार तमाम एहतियातों के बावजूद संक्रमण तो कम हुआ है लेकिन कोरोना से मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है.लेकिन कोरोना के दूसरी लहर में जिस तरह से डॉक्टरों की मौत हो रही है इससे ना सिर्फ डॉक्टर चिंतित हैं बल्कि इतनी बड़ी संख्या में सूबे के नामी और बेहतरीन डॉक्टरों की एक के बाद एक हो रही मौतों ने सरकार को भी सकते में डाल दिया है. महज दो महीने में ही लगभग सौ डॉक्टरों की चपेट में आने से मौत हो गई है. IMA के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार का कहना है कि इतने कम समय में 100 डॉक्टरों की मौत बेहद चिंताजनक है जिसके मद्देनजर संस्था ने डॉक्टरों की मौत का कारण जानने के लिए पहले 8 सदस्यीय टीम बनाई थी जिस अब 12 सदस्यीय कर दिया गया है. 

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अति आत्मविश्वास भी मौत का कारण 

डॉक्टरों की मौत पर पटना की नामी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय का कहना है कि ये चिंता की बात है कि कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश में 100 से भी ज्यादा डॉक्टरों की मौत हो गई है. सारिका ने कहा कि मरीजों की सेवा में डॉक्टर अपनी हिफाजत और स्वास्थ्य को अनदेखा कर रहे हैं. इसके अलावा डॉक्टरों में इस बात की विश्वास होता है कि वो डॉक्टर हैं सभी सावधानियों को बरत रहे हैं, टीका भी लिया है और बीमारी की समझ उन्हें आम लोगों से ज्यादा है. ये आत्मविश्वास भी कहीं ना कहीं डॉक्टरों की मौत की बड़ी वजह है.  

डॉक्टरों के लिए अपनी जान से ज्यादा मरीजों की जान कीमती
वहीं NMCH के सीनियर कोरोना स्पेशलिस्ट डॉ अजय कुमार सिन्हा का कहना है कि ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में कोरोना के दूसरे लहर में डॉक्टरों की बड़ी संख्या में मौत हुई है. बिहार में डॉक्टरों की मौत का आंकड़ा दूसरे प्रदेशों की तुलना में कहीं ज्यादा है जो चिंता की बात है. डॉ अजय ने कहा कि किसी भी डॉक्टर के लिए अपनी जान से ज्यादा मरीजों की जान बचाना पहली प्राथमिकता होती है लिहाजा सभी खतरों को जानते हुए डॉक्टर मरीजों की जान बचाने में अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हैं और हाई रिस्क जोन में सैकड़ों कोरोना मरीजों के बीच रहकर इलाज करते हैं लिहाजा संक्रमण उनमें तेजी से फैलता है और उनकी मौत हो रही है.

डॉक्टरों की मौत पर भी सत्ता और विपक्ष में नूरा-कुश्ती
बिहार में कोरोना की वजह से सेकेंड स्ट्रेन से सौ डॉक्टरों की महज दो महीने में मौत ने सूबे की राजनीति को भी गर्म कर दिया है और विपक्ष को बैठे बिठाए सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है. आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉक्टरों को सरकार से जो सुविधा मिलनी चाहिए थी. सरकार की नाकामी की वजह से आज इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टरों की मौत हुई है. दूसरी तरफ मोर्चा संभालते हुए सत्तापक्ष ने डॉक्टरों की मौत पर विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.बीजेपी नेता अरविंद सिंह का कहना है कि संकट की इस घड़ी में डॉक्टरों ने ये साबित कर दिया है कि उन्हें यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता है. 

IMA ने सरकार पर उठाया सवाल
डॉक्टरों की मौत पर भी सत्ता और विपक्ष में नूराकुश्ती शुरू हो गई है लेकिन इन सबके बीच IMA ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि साल 2020 में भी कोरोना के पहली लहर के दौरा लगभग 40 डॉक्टरों की मौत हुई थी जिन्हें सरकार ने मुआवजा देने की घोषणा की थी लेकिन एक दो को छोड़कर किसी को मुआवजा नहीं मिल सका है. इस साल भी 100 डॉक्टरों की मौत हो गई है, सरकार के आदेश के बावजूद इंश्योरेंस कंपनी डॉक्टरों के परिजनों को मुआवजा देने के नाम पर सिर्फ परेशान ही कर रहे हैं.