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Jaipur : दश महाविद्या की 9वीं देवी के रूप में भगवती मातंगी मां को पूजा जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि भगवती की उपासना करने से दाम्पत्य जीवन सुख की कमी नहीं रहती है. मां की उपासना करने से पूर्व गुरु दीक्षा और गुरु आज्ञा लेना आवश्यक होता है. भगवती की तंत्र की सरस्वती भी कहा जाता है जो कोई भक्त माता जी के 12 अक्षर के मंत्र का जप करता है उसे दांपत्य जीवन में सुख अविवाहित का विवाह शीघ्र हो जाता है.

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भगवती के हाथ में वीणा है और तोते पर विराजमान रहती है. माता जी वाक सिद्धि वाद सिद्धि का आश्रीवाद देती है. पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि माता जी प्राकट्य उत्सव अक्षय तृतीया को मनाया जाता है. भगवती को नील सरस्वती सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, राज-मातंगी, कर्ण-मातंगी, चंड-मातंगी, वश्य-मातंगी, मातंगेश्वरी आदि, नामों से जाना जाता है. इनकी उपासना विशेष रूप से गुप्त नवरात्रि में करते हैं. गुप्त नवरात्रि के नवम दिन पूजन किया साधना उपासना किया जाता है. तंत्र और काला जादू वशीकरण आकर्षण  सभी को निवारण करती है.
 
भगवती का प्राकट्यमहोत्सव
भगवती मातंगी माता का प्राकट्य महोत्सव अक्षय तृतीया को मनाया जाता है. भविष्यवक्ता पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष को अक्षय तिथि आती है. उसी दिन भगवान परशुराम जयंती और भगवती मातंगी का प्राकट्य महोत्सव मनाया जाता है. इस बार प्राकट्य महोत्सव 14 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा इसी दिन जो भक्त माता जी की विशेष आराधना करता है उसके जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं.

माँ भगवती मातंगी देवी महामन्त्र
ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा
सभी सुखों की प्राप्ति के लिय मंत्र:
क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा:
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मंत्र:
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महा मातंगी प्रचिती दायिनी,लक्ष्मी दायिनी नमो नमः।
।। ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।।

विवाह में हो रही है देरी तो यह करे उपाय
ज्योतिषाचार्य पं. नीलेश शास्त्री के अनुसार दुर्गा सप्त सती का मातंगी माता के द्वादश अक्षर का संपुट लगा वैदिक ब्राह्मणों द्वारा पाठ करवाए तो विवाह में आने वाली बाधा समाप्त हो जाती है.

दमाप्त्य जीवन में सुख पाने के लिय 
भगवती मातङ्गी के 36 अक्षर के मंत्र का जप करवाए 36 लाख से अधिक जप करवाने से दांपत्य जीवन में सुख मिलने लगेगा. मोगरे के पुष्पों से माता जी का पुशार्चन तथा आवरण पूजन करें.

वाक सिद्धि के लिए 
महामंत्र का जाप करते शहद से दशांश हवन करने पर वाक् सिद्धि प्राप्त होती है.

तंत्र समाप्ति के लिय 
भगवती मातंगी के बीज मंत्र से दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से सभी प्रकार का तंत्र होने लगता है.

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