नई दिल्ली: वैक्सीनेशन को लेकर लगातार आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सामने अपना पक्ष रखा है. मामले की सुनवाई से पहले सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए अपनी टीकाकरण नीति (Vaccination Policy) का बचाव किया है और साथ ही कहा है कि इसमें कोर्ट के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. सरकार ने कहा कि महामारी के चलते सभी को एक बार में टीका नहीं दिया जा सकता, वैक्सीन की सीमित उपलब्धता है, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए नीति बनाई गई है.

18+ के बारे में दिया ये तर्क

हलफनामे में कहा गया है कि 18 से 44 साल के लोगों को वैक्सीन लगवाने की मंजूरी सिर्फ इसलिए दी गई है क्योंकि कई राज्य इसकी मांग कर रहे थे और केंद्र ने वैक्सीन उत्पादकों से राज्यों को एक कीमत पर वैक्सीन सप्लाई करने को कहा है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि वैक्सीनेशन की उपलब्धता और मांग को ध्यान में रखते हुए नीति बनाई गई है. नीति न्यायसंगत है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है.

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‘हम पर विश्वास रखिये’

केंद्र ने हलफनामे में कहा कि हम पर विश्वास कीजिए, कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. हमने 50 प्रतिशत वैक्सीन की खरीद खुद करने की नीति बहुत सोच-विचार कर बनाई है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि केंद्र वैक्सीन की 100 प्रतिशत खरीद खुद क्यों नहीं कर रहा है? केंद्र को वैक्सीन की एक खुराक के लिए 150 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं, तो वहीं वैक्सीन निर्माता कंपनियां राज्यों से इसके लिए 300 और 400 रुपये प्रति डोज ले रही हैं.

Price में अंतर पर ये कहा

केंद्र सरकार ने कहा है कि उसे वैक्सीन की कीमत इसलिए कम चुकानी पड़ रही है, क्योंकि उसने बड़ी मात्रा में टीके का ऑर्डर दिया है. हलफनामे में केंद्र सरकार ने आगे कहा कि इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि केंद्र ने अपने व्यापक टीकाकरण अभियान के लिए वैक्सीन के बड़े ऑर्डर दिए हैं, जो राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों की तुलना में काफी बड़े हैं. इसलिए इसका असर कीमत पर भी दिखा है. हलफनामे के मुताबिक, अलग-अलग कीमतों से प्राइवेट वैक्सीन निर्माताओं के लिए एक प्रतिस्पर्धी बाजार होगा, जिसके परिणामस्वरूप वैक्सीन का उत्पादन बढ़ेगा और उसकी कीमतें भी ज्यादा नहीं होंगी.

Court को चाहिए इनके जवाब

इस मामले में आज सुनवाई होनी है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चारों मुद्दों पर केंद्र से जवाब मांगा था. कोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति, कोविड बेड सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकताओं में वृद्धि, रेमडेसिविर, फेविपिविर सहित आवश्यक दवाओं की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम और टीकाकरण को लेकर सवाल किए गए थे.