नई दिल्ली: AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) के मुताबिक, कम लक्षण वाले कोरोना मरीजों को शुरुआती दिनों में स्टेरॉयड (Steroid) से बचना चाहिए. क्योंकि शुरूआती दिनों में स्टेरॉयड लेने से शरीर पर गलत प्रभाव पड़ सकते हैं. एम्स के डायरेक्टर की मानें तो जिन्हें ‘मॉडरेट सिम्प्टम’ हैं, उन्हें ही ऑक्सीजन, स्टेरॉयड और मेडिसन की जरूर पड़ती है. कम लक्षण वाले जो COVID-19 मरीज स्टेरॉयड ले रहे हैं उनमें ऑक्सीजन की कमी हो सकती है और अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है.
Moderate Illnesses में ही लें स्टेरॉयड
एम्स प्रमुख ने कहा, ‘प्रारंभिक चरण में स्टेरॉयड (Steroid) लेने वाले रोगियों को निमोनिया हो सकता है. Moderate Illnesses केस में ही स्टेरॉयड लिया जाना चाहिए, डॉक्टर भी ऐसी सलाह देते हैं.’ उन्होंने बताया कि 93 से नीचे ऑक्सीजन स्तर होने, अत्यधिक थकान, सीने में दर्द होने पर घर पर आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती होना चाहिए. ऐसे रोगियों को एक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए. हाई रिस्क वाले मरीजों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है.
मॉडरेड केस में तीन विकल्प
गुलेरिया ने आगे कहा कि Moderate Illnesses केस में तीन प्रकार के इलाज- ऑक्सीजन थेरेपी (oxygen therapy), स्टेरॉयड (Steroids) और एंटीकोगुलेंट (Anticoagulants)- प्रभावी होता है. AIIMS प्रमुख हल्के COVID-19 मामलों में सीटी स्कैन कराने को लेकर भी चेतावनी दे चुके हैं. उन्होंने कहा, इसके साइड इफेक्ट हैं और इससे नुकसान हो सकते हैं.
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CT Scan से भी खतरा
हल्के संक्रमण के मामलों में CT Scan नहीं कराने पर जोर देते हुए एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कई लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बाद सीटी स्कैन करा रहे हैं. साथ ही उन्होंने आगाह किया कि बिना जरूरत के सीटी स्कैन कराए जाने से नुकसान उठाना पड़ सकता है. डा गुलेरिया ने कहा, ‘एक सीटी स्कैन 300 से 400 छाती एक्स-रे के समान है. आंकड़ों के मुताबिक, युवा अवस्था में बार-बार सीटी स्कैन कराने से बाद में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. खुद को बार-बार रेडिएशन के संपर्क में लाने से नुकसान हो सकता है.
(INPUT: PTI)
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