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नई दिल्ली: सपना चौधरी का नाम आते ही उनके धमाकेदार गाने और डांस याद आ जाते हैं. लाखों लोगों का दिलों पर राज करने वाली सपना ने उस वक़्त सबको चौंका दिया था जब अचानक शादी करने और फिर मां बनने की खबरें आई. अपनी जिंदगी में इन नए चैप्टर्स को शुरू कर चुकी सपना भी अब वर्किंग मॉम की कैटिगरी में आ चुकी हैं. उनके आसपास की दुनिया में भी बदलाव आ चुके हैं. सपना चौधरी भी एक आम महिला की तरह तस्वीरों में नज़र आई हैं. जो हर कामकाजी पत्नी और मां की जिंदगी में होता हैं वैसा ही लेटेस्ट विडियो में देखने को मिला. पोछा लगाना सबसे बोझिल और खराब माना जाता है और यही काम सपना चौधरी करते दिख रही हैं. वीडियो देखने के बाद यूजर्स ने मजेदार कमेंट भी किए.
सपना घर में पोंछा लगाती दिखीं
कुछ दिन पहले सपना चौधरी ने एक विडियो शेयर किया था जिसमें पहले कैमरा टीवी पर फोकस करता है. इस सिंगर का गाना चल रहा होता है. इसके बाद फ्रेम में सपना घर का पोंछा लगाती दिखाई देती हैं. बिना किसी डायलॉग या कॉमेंट का ये विडियो अपने आप में ही पूरी कहानी को बताता है.
दोहरी जिंदगी में महिलाएं
अक्सर महिलाएं दोहरी जिंदगी जीती है. एक तरफ ऑफिस में स्मार्टली ड्रेस्ड अप होता हैं प्रफेशनल लाइफ होती है. वहीं घर पर उनका इससे ठीक अपोजिट लुक देखने को मिलता है. घर में घर के कपड़ों में खाना बनाती झाड़ू-पोंछा लगातीं बच्चों के पीछे भागती सास-ससुर की चीजों का ख्याल रखतीं पति के लिए हर चीज करतीं नजर आती हैं. इस दौरान उनके पास अपने लिए टाइम ही नहीं होता है.
कामकाजी महिलाओं पर ज़्यादा बोझ
महिलाओं के स्ट्रेस लेवल की बात की जाए तो पता चलता है कि कामकाजी महिलाओं का घर में रहने वाली महिलाओं से ज़्यादा हाई होता है. इस बात को सभी मानते हैं कि महिलाएं जिस तरह से घर-परिवार के साथ नौकरी के फ्रंट को भी संभालती हैं वैसा कर पाना आसान नहीं. लेकिन इससे होने वाले प्रभावों पर लोग कभी बात नहीं करते हैं. इंडियन साइकलॉजिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी स्ट्रेस लेवल ऑफ वर्किंग एंड नॉन वर्किंग वीमेन के मुताबिक वर्किंग ऐंड मैरिड विमिन का स्ट्रेस लेवल उन महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है जो या तो शादीशुदा नहीं हैं या फिर कामकाजी नहीं हैं.
स्ट्रेस लेवल बढ़ने की वजह
एक्सपर्ट की माने तो भारत में आज भी महिलाओं से ‘एक परफेक्ट पत्नी और मां’ दोनों की जिम्मेदारियां निभाते हुए आदर्श महिला का रोल अदा करने की उम्मीद की जाती है. इसका मतलब होता है कि खुद की जरूरतों से पहले परिवार को आगे रखना. स्टडी में इसका भी जिक्र किया गया कि अगर महिला खुद के लिए स्टैंड लेकर काम जारी रखती है और घर व बच्चे को संभालने के लिए मेड की मदद लेती है तो इसके लिए भी उसे बातें सुनाई जाती हैं. वहीं ऐसा पुरुषों के केस में होता दिखाई नहीं देता है क्योंकि उनके ऊपर इस तरह की उम्मीदों का बोझ नहीं होता. इसलिए महिलाएं जबरदस्त स्ट्रेस का शिकार हो जाती हैं.
स्ट्रोक का खतरा ज़्यादा
ज्यादातर महिलाएं जिम्मेदारियों को निभाते निभाते पूरी नींद तक नहीं ले पाती हैं. जो उनके शरीर को अंदर से कमजोर करना शुरू कर देता है.स्ट्रेस के बने रहने और पर्याप्त नींद न होने पर महिलाओं में दिल की बीमारी डिप्रेशन साइकलॉजिकल प्रॉब्लम्स और स्ट्रोक आने तक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा नींद की जरूरत होती है क्योंकि वे चीजों में इमोशनल और फिजिकल रूप से ज्यादा इन्वॉल्व होती हैं.
शेयरिंग में छिपी है केयरिंग
सच तो ये है कि डबल जिम्मेदारी मतलब डबल स्ट्रेस. ऐसे में ये जरूरी है कि घर की जिम्मेदारियों का कपल आपस में बंटवारा करें. वर्क शेयरिंग से किसी भी एक साथी पर अकेले पूरा बोझ नहीं आता और इससे स्ट्रेस लेवल कम होगा. इसका रिलेशनशिप पर भी पॉजिटिव असर पड़ता है. कपल्स के बीच का बॉन्ड मजबूत होता है.
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