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Bettiah: वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रभाव में इंसानियत की मिसाल कायम करती खबर पश्चिम चंपारण जिले से आई है. यहां मुस्लिम युवकों ने हिंदू युवक के शव का अंतिम संस्कार कर गंगा यमुनि तहजीब को न केवल कायम रखा बल्कि समाज और देश को मानवता धर्म का संदेश भी दिया. 

घटना नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल की है जहां कोरोना से संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद परिवार वालों के अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आने पर एक रोजेदार मुस्लिम युवक फजलू रहमान ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए मृतक के शव को खुद पीपीई कीट पहनकर श्मशान घाट पहुंचाया.

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दरअसल, नरकटियागंज नगर के शिवगंज निवासी प्रशांत अमित उर्फ गोल्डी (करीब 42 वर्ष) का कोरोना से निधन हो गया. संक्रमण के डर से परिवार और अस्पताल के कर्मियों ने किनारा कर लिया. करीब 11 घंटे तक मृतक का शव अस्पताल में पड़ा रहा. नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में शव उठाने वाले व्यक्ति की कोई व्यवस्था नहीं है. संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद 11 घंटे तक बेड पर शव पड़ा रहा. 

इंसानियत शर्मसार होती रही. जब मृतक के परिजनों ने कोई सुधि नहीं ली तो अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी किनारा कर लिया गया. इधर, अस्पताल की लाचार व्यवस्था से आमजनों में काफी आक्रोश है. वहीं, जब इसकी जानकारी मोहल्ले के मुस्लिम रोजेदार युवक फजलु रहमान को हुई तो उन्होंने खुद पीपीई किट पहनकर नगर पालिका परिषद के सिटी मैनेजर विनय रंजन के सहयोग से मृत युवक को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत श्मशान घाट पहुंचाया. जहां पर दाह संस्कार रीति रिवाज के मुताबिक किया गया. यह देखकर परिजन भी वहां पहुंचे और अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

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अब इस अनूठी मिसाल और मानवता धर्म निभाने की चर्चा चारों तरफ हो रही है. इतना ही नहीं इस पुण्य काम के लिए नगरवासी मुस्लिम युवक रोजेदार फजलु रहमान समेत सिटी मैनेजर विनय रंजन को धन्यवाद देते नहीं थकते हैं और यहीं वजह है कि आज इनकी सराहना चहुओर की जा रही है.

समाज में नफरत और मजहब के नाम पर आपसी सौहार्द बिगाड़ने वालों के लिए निश्चित ही शिकारपुर थाना क्षेत्र के शिवगंज निवासी फजलु रहमान की पहल एक सबक है जो इंसानियत को जिंदा रखने की ताजा मिसाल है. साथ ही साथ यह संदेश भी है कि मानवता धर्म सर्वोपरी है.

(इनपुट- इमरान अज़ीज़)