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रामपुर: बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम (Shabnam Case Amroha) का मामला अब मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission of India) पहुंच गया है. दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान ने फरवरी माह में मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद गुरुवार को मानव अधिकार आयोग ने मामले को दर्ज कर लिया है. आपको बता दें कि शबनम को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, फिलहाल वह बरेली जेल में बंद है. इसके पहले वह रामपुर जेल में कैद थी. 

दानिश ने की है ये मांग 
रामपुर के रहने वाले दानिश खान ने बताया कि शबनम ने अपने मामले में सीबीआई जांच (CBI For Shabnam Case) की मांग की थी. शबनम ने कहा था कि मेरे मामले में सही से जांच नहीं हुई. उसे न्याय नहीं मिला. यूपी पुलिस के सब इंस्पेक्टर ने जांच की और उसको दोषी ठहरा दिया गया. ऐसे में दानिश ने ये मांग कि है कि शबनम को फांसी देने से पहले ऐसे में फांसी देने से पहले उसका पक्ष रखने और मानवीय अधिकारों की संवेदना देखते हुए मामले की जांच स्वतंत्रत एजेंसी सीबीआई (CBI) से कराई जानी चाहिए. 

आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान

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महिला जल्लाद दे फांसी 
वहीं, दानिश की दूसरी मांग ये है कि अगर शबनम को फांसी दी जाए तो महिला जल्लाद का इंतजाम किया जाए, क्योंकि देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी. ऐसे में किसी पुरुष जल्लाद द्वारा महिला को फांसी देना उचित नहीं है. बता दें कि शबनम को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद (Pawan Jallad) का नाम सामने आया था. इस केस को 21-02-2021 में रजिस्टर्ड कराया था. मामले को मानव अधिकारी आयोग ने 2812/IN/2021 नंबर पर दर्ज किया. 

क्या था मामला?
यूपी के अमरोहा डिस्ट्रिक्ट के बावनखेड़ी गांव में 14 अप्रैल, 2008 की रात को शबनम ने प्रेमी सलीम (Shabnam and Saleem) के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. मरने वालों में शबनम के मां-बाप, शबनम के दो भाई, शबनम की एक भाभी, शबनम की एक मौसी की बेटी और शबनम का एक भतीजा यानी एक बच्चा भी शामिल था.

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शबनम केस में कब क्या-क्या हुआ?
– अमरोहा हत्याकांड केस में अमरोहा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 2010 में ही सलीम-शबनम को फांसी की सजा सुना दी थी. इस फैसले को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा. 
– इसके बाद 2015 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और दोबारा सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को नहीं बदला था. 
– 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शबनम की दया याचिका खारिज कर दी.
– साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट से शबनम की फांसी की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई. 
– राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आने के बाद शबनम ने वकीलों के जरिए फिर प्रेसिडेंट को दया याचिका भेजी गई, लेकिन वहां से याचिका ठुकरा दी गई.
– फरवरी 2021 में उसके बेटे ने भी एक राष्ट्रपति से अपील की थी कि उसकी मां शबनम को माफी दे दी जाए. 
– 19 फरवरी को शबनम के वकीलों ने एक बार फिर दया याचिका राज्यपाल को भेजी थी. इससे पहले 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों ने फ्रेश याचिका राष्ट्रपति को भेजने का आग्रह किया था. जेल प्रशासन ने राज्यपाल और प्रमुख सचिव न्याय लखनऊ व जिला जज अमरोहा को इसे भेज दिया था. 

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