तराना/ शाजापुर। तेजा दशमी से अगले पांच दिनों तक गुर्जर समाज में विशेष परंपरा निभाई जाती है। जिसमें गुर्जर समाज जन अपनी कुल देवी का रोट पूजन करते हैं गुर्जर रोट पूजन में गुर्जर समाज जन पांच दिन में दूध एक बूंद तक नहीं बेचते है। और घर पर छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक दूध व दूध से बनने वाले पकवानों का सेवन नहीं करते हैं बिना दूध वाली काली चाय का उपयोग करते हैं पूर्णिमा पर रोट पूजन के दौरान ही दूध व दूध से बनने वाले पकवान तथा घी का उपयोग करते हैं खास बात यह है कि रोट पूजन के साथ ही परिवार में नई बहू का गृह प्रवेश होता है।

घर परिवार का सामूहिक पूजन के बाद ही दूध का घी बनाकर अन्य समाजजन को घर बुलाकर अलग-अलग दूध से बने पकवान खिलाते हैं। यह परंपरा तब से चल आ रही है, जब से गुर्जर समाज की उत्पत्ति हुई है।

समाज के वरिष्ठों का यह है कहना

गुर्जर समाज के वरिष्ठ व भाजपा मंडल अध्यक्ष फुलसिंह गुर्जर करेड़ी बताते हैं कि मालवा क्षेत्र के लाखों परिवारो में करोड़ों लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन होता है। औसतन हर परिवार में मवेशियों से 7 से 30 लीटर दूध प्राप्त होता है, लेकिन परंपरा के चलते साढ़े तीन दिन से लेकर पांच दिनों तक समाजजन दूध नहीं बेचते है ओर दूध व दूध से बनने वाले पकवान का सेवन नही करते है जो दूध निकाला जाता है पांच दिन से इकठ्ठे हुए दूध को जमाकर घी बनाकर पुर्णिमा के दिन उसी घी व दूध से पूजन किया जाता है पांच दिन से मवेशी का दूध निकालते समय पुरी सावधानी रखते हुए मुह पर कपडा बांधकर दूध निकालते हैं।

विनोद गुर्जर सरपंच गुराड़िया गुर्जर बताते हैं कि रोट पूजा के दिन ही नई बहू का गृह प्रवेश होता है। गुर्जर समाज साढ़े तीन दिन से लेकर पांच दिन तक दूध व दूध से बनने वाले पकवान का सेवन नहीं करते है। भाजपा नेता जगदीश गुर्जर नाटाखेड़ी ने बताया कि गुर्जर समाज का रोट पूजन त्यौहार सबसे बड़ा त्यौहार है, पांच दिन के रोट पूजन त्यौहार पर हमारे समाज के छोटे बच्चों को भी चाय दूध नहीं पिलाते हैं। केवल काली चाय का ही सेवन किया जाता है पूजन के बाद दुध व दुध से बनने वाले पकवान खाना शुरू करते है साथ ही गांव के अन्य समाज के ईष्टमित्रो को रोट पूजन पर बुलाकर भोजन करवाया जाता है।

गुर्जर समाज के वरिष्ठ एवं भाजपा के नेता शिवसिंह गुर्जर करेड़ी ने बताया कि गुर्जर समाज में परंपरा अनुसार रोट पूजन किया जाता है साढ़े 3 दिन से लेकर 5 दिनों तक दूध व दूध से बनने वाले पकवान का सेवन बच्चो से लेकर बड़ो तक नहीं करते हैं और जो मवेशियों से दूध निकालते हैं उसका घी बनाकर पूजन स्थान पर रखते हैं और जो छाछ बनती है उसे गाय को पिला देते हैं या फिर नदी में विसर्जन कर देते हैं। भाजयुमो मंडल अध्यक्ष देवेंद्र बड़ाल गांवड़ी ने बताया कि गुर्जर रोट पूजन पर पांच दिनों तक दूध का सेवन नहीं करते हैं 5 दिनों में जो भी दुध से घर पर घी बनता है उसे बाजार में बेचा नहीं जाता है उसका उपयोग घर पर ही किया जाता है।

कांग्रेस के युवा नेता सुरज चांदना बगोदा ने बताया कि हम हमारी कुल देवी मां को गुर्जर रोट पूजन के रूप पूजते हैं पांच दिनों तक मां कि आराधना कर दुध व दुध से बनने वाले पकवानों का सेवन नहीं करते हैं रोट पूजन पर नई बहू का गृह प्रवेश होता है।

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