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मयूर शुक्ला/लखनऊ: कोरोनावायरस को लेकर एक ऐसी जानकारी सर्कुलेट हो रही है, जिसे सुनकर लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. लखनऊ के सीवर के पानी में कोरोनावायरस पाए जाने से लोग दंग रह गएहैं. SGPGI अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने सीवेज के सैंपल टेस्ट के बाद ये जानकारी दी थी कि उस सीवेज में भी कोरोना का वायरस पाया गया है. SGPGI के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. उज्जला  घोषाल ने इस बात की की पुष्टि की थी.

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PGI डायरेक्टर ने बताई ये बात
हांलाकि, कुछ देर बाद PGI ने ही प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि अभी उस तथ्य को पूरी तरह सही नहीं माना जाना चाहिए. पीजीआई के डायरेक्टर आरके धीमन का कहना है कि पानी में वायपस के डेड सेल्स होते हैं जो नुकसान नहीं करते. इसलिए पानी से वायरस फैलने के चांस कम हैं. 

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8 सेंटर में चल रही सैंपल की स्टडी
फिलहाल, ICMR और WHO की स्टडी के तहत कई शहरों के सीवेज सैंपल मंगाए गए हैंस ताकि अलग-अलग शहरों के पानी में कोरोना वायरस का पता लगाया जा सके. इसके लिए देश भर में 8 सेंटर बनाए गए हैं, जिसमें से एक सेंटर लखनऊ के पीजीआई में बनाया गया है. लखनऊ के कई इलाकों से सीवेज सैंपल लिए गए थे और 19 मई को इस सैंपल में वायरस की पुष्टि हुई. इसके बाद रिपोर्ट NIV को भेजी गई.

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मुख्य कारण माना जा रहा स्टूल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीवेज में कोरोना संक्रमण का मेन कारण स्टूल हो सकता है. क्योंकि कई मरीज होम आइसोलेशन में हैं और उनका स्टूल डायरेक्ट सीवेज में जाता है. हो सकता है इस वजह से वह वायरस सीवेज के पानी में हो सकता है.

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