Patna: पटना हाईकोर्ट ने बीते दिनों राज्य सरकार को फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त हुए शिक्षकों के सर्टिफिकेट जांच करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने सरकार को जनवरी 2021 में ही दो सप्ताह की मोहलत देते हुए कहा था फर्जी शिक्षकों की जांच कर उन पर कार्रवाई की जाए. लेकिन, फिर कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले व अन्य वजहों से इस कार्य में विलंब हो गया.
इसके बाद राज्य सरकार ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया. इस सॉफ्टवेयर पर शिक्षकों को सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए कहा गया. इन सभी सर्टिफिकेट की जांच शिक्षा विभाग करेगा. इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के अनुसार, फिलहाल कोरोना के कारण 3.57 लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट सॉफ्टवेयर पर अपलोड नहीं हुए हैं. अब ये सर्टिफिकेट जून से अपलोड होंगे.
सरकारी आदेश जारी कर कहा गया है कि जो लोग निर्धारित समय में सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे, उनकी नियुक्ति अवैध मानी जाएगी. ऐसे शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी. यही नहीं वेतन में अब तक जितनी राशि शिक्षक को मिली है, उनसे वसूली जाएगी. डीईओ ऑफिस द्वारा इस संबंध में विवरण अपलोड होगा. अपलोड होने वाले दस्तावेज में प्रमाण पत्र, अंक पत्र, नियोजन पत्र शामिल हैं.
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3.57 लाख शिक्षकों में प्रारंभिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक के नियोजित शिक्षक शामिल हैं. शिक्षा विभाग ने इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है.इस कार्य से जुड़े कई अधिकारी-कर्मी कोरोना की चपेट में हैं. विलंब होने का यह भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है.
दरअसल, सरकार ने यह फैसला पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर लिया है, जिसमें सभी नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की सत्यता की जांच करने के लिए कहा गया है. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि अब भी 1.3 लाख शिक्षक ऐसे हैं, जिनके सर्टिफिकेट निगरानी विभाग को जांच के लिए नहीं मिले हैं.