सागर: नरयावली नाका मुक्तीधाम से एक चौंकाने वाली ख़बर सामने आई है. एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के मामले में परिजनों ने अंत्येष्टि के दौरान मृतक का शव शमशान घाट से लापता होने का आरोप लगाया है. सनसनी उस वक़्त फैल गई जब हंगामे के हालात से दो तीन घंटे तक मुक्तीधाम मे अंत्येष्टि प्रकिया बाधित रही.
मर्चुरी विभाग की बड़ी लापरवाही
हंगामा इतना बढ़ गया कि सूचना पर मुक्तीधाम की व्यवस्था संभाल रहे नगर निगम के उपायुक्त प्रणयकमल खरे और मोतीनगर पुलिस को मौके पर पहुँचना पड़ा. परिजनों के साथ चर्चा कर जब उनके आरोप की पड़ताल की तो मामले मे बीएमसी के मर्चुरी विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई. जांच में पता चला कि कोविड के मृत व्यक्ति के शव के नाम के ट्रेकिंग के दौरान एक ही नाम की पर्ची अलग अलग शव पर लग जाने से हंगामा खड़ा हो गया. इस मामले में अपने पिता की अंतेष्ठी करने से महरुम हुई बेटी ने बीएमसी प्रशासन की इस लापरवाही पर जमकर हंगामा कर मामले की शिकायत आला प्रशासन से करने की बात भी कही.
गलती कैसे हुई
बीएमसी के मर्चुरी विभाग से तीन शव कोविड संक्रमित मरीजों के दाह संस्कार के लिए एक ही शव वाहन से नरयावली मुक्तीधाम भेजे गये. जिनमें एक शव बीना इटावा निवासी राजकुमार जैन का था. जिन्हें कल उपचार के लिए भर्ती किया गया था जहां उन्होंने रात में दम तोड़ दिया. बीएमसी से मुक्तीधाम पहुँचे शव वाहन से जब शव के नाम ट्रेकिंग के आधार पर नाम पुकार परिजनों की मौजूदगी में अंतेष्ठी के लिए उतरा गया तो उसमें तीन शवों में से दो शव में सरला चतुर्वेदी का नाम अंकित मिला. जबकि एक में किसी ओर का नाम था इस लिहाज से राजकुमार का शव गायब मिला. ऐसे में वहाँ तैनात कर्मचारी के मुताबिक जो पहला शव जिसका विद्युत शवदाह से अंत्येष्टि हुई उसे राजकुमार जैन का शव बताकर परिजनों को संतुष्ट किए जाने का प्रयास किया. जहां अपने पिता की अंतेष्ठी से महरुम हुई बेटी ने जब इस बात पर कड़ी आपत्ति उठा विरोध किया तो वहाँ तैनात निगम के कर्मचारी सकते में आ गये.
सवालों का जवाब नहीं दे पाया प्रशासन
मामले में हुई चूक पर पीड़ित की बेटी के सवालों का कोई उचित जबाब नहीं दे पाए तो स्थिति और भी तनावपूर्ण बन गई. अंतिम संस्कार रोककर नगर निगम के आला प्रशासन को पूरे मामले की जानकारी दी गई. मामला संवेदनशील होने पर नगर निगम के उपायुक्त प्रणयकमल खरे मोतीनगर पुलिस का अमला मुक्तीधाम पहुँचे. हालात तनावपूर्ण बन गये इस मामले मे नगर निगम के उपायुक्त ने पीड़ित की संतुष्टि के लिए शेष सभी शवों की पहचान भी वहाँ मौजूद परिजनों से पीपीई किट पहनाकर करावाई जब जाकर मामला शांत हुआ.
मानवीय चूक, कार्यवाही का भरोसा
वहीं नगर निगम के उपायुक्त प्रणयकमल खरे ने इसे मानवीय चूक बताया और कार्यवाही का भरोसा दिया. बहरहाल कोविड संक्रमण के दौर मे बीएमसी के गलियारों से अव्यवस्था और लापरवाही की शिकायतों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रशासन के लिए परेशानी बढ़ाने का काम कर रहे ऐसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. आवश्यकता है रोक लगाने और व्यवस्था में कसावट लाने की.
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