लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर जब अपने पीक पर थी तो उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदी में सैकड़ों शव उतराते दिखे. अब एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. मुंबई के बाद लखनऊ के सीवेज वाटर में भी कोरोना वायरस मिला है. लखनऊ SGPGI के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला घोषाल ने इसकी पुष्टि की है.
एसजीपीजीआई ने सीवेज सैंपल टेस्ट कर पुष्टि की
उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) व वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने रिसर्च स्टडी शुरू की है. इसमें देशभर के अलग-अलग शहरों से पानी में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए सीवेज सैंपल जुटाए जा रहे हैं. इसके तहत देशभर में 8 सेंटर बनाए गए हैं. यूपी का सेंटर एसजीपीजीआई को बनाया गया है.
रूकपुर खदरा के सीवेज सैंपल में वायरस की पुष्टि
इसी कड़ी में लखनऊ में खदरा के रूकपुर, घंटाघर व मछली मोहाल के ड्रेनेज से सीवेज सैंपल लिए गए थे. इन सीवेज सैंपल्स की 19 मई को एसजीपीजीआई में जांच की गई. उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि रूकपुर खदरा के सीवेज सैंपल में कोरोना वायरस पाया गया है. आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ को इससे अवगत करा दिया गया है. मुंबई के एक सीवेज सैंपल में भी कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है.
शव से पानी में संक्रमण फैलने पर अध्ययन बाकी
उज्ज्वला घोषाल उन्होंने बताया कि अभी यह प्राथमिक अध्ययन है. भविष्य में इस पर विस्तार से अध्ययन किया जाएगा. पानी से कोरोना संक्रमण फैलेगा या नहीं, यह अभी रिसर्च का विषय है. प्रोफेसर उज्ज्वला घोषाल ने कहा कि भविष्य में पूरे प्रदेश के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा सकता है. अभी शव से पानी में संक्रमण फैलने के बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है.
मरीजों के मल से पानी में पहुंच सकता है वायरस
डॉ. घोषाल ने बताया कि कुछ समय पहले एसजीपीजीआई में भर्ती कोरोना मरीजों पर अध्ययन किया गया था. उस वक्त यह पाया गया था कि मल में मौजूद वायरस पानी में पहुंच सकता है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि मरीजों के स्टूल (मल) से सीवेज तक कोरोना वायरस पहुंचा हो. कई अन्य शोध पत्रों में भी यह बात सामने आई है.
गंगा और यमुना के जल का सैंपल भी लिया गया
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के जल का सैंपल लिया गया है. सैंपल लेने के लिए लखनऊ स्थिति भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान की तीन सदस्यीय टीम प्रयागराज आयी थी. गंगा और यमुना के किनारे शव दफनाने और नदियों में शव बहाने के मामले में पानी प्रदूषित होने की बात कही जा रही है. प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर और फाफामऊ घाट से सैंपल लिए गए.