नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना का फाइटर विमान MIG-21 गुरुवार रात पंजाब के मोगा जिले के एक गांव में क्रैश हो गया. इस दुर्घटना में Squadron Leader अभिनव चौधरी शहीद हो गए. उनकी उम्र सिर्फ़ 29 वर्ष थी और दो साल पहले ही वर्ष 2019 में उनकी शादी हुई थी.
मोगा में क्रैश हो गया विमान
Squadron Leader अभिनव चौधरी ने एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान मिग-21 बायसन से राजस्थान के सूरतगढ़ के लिए उड़ान भरी थी लेकिन पंजाब के मोगा में उनका एयर क्राफ्ट क्रैश हो गया. आशंका है कि ये दुर्घटना विमान के इंजन में आग लगने की वजह से हुई. इस हादसे के दौरान उन्होंने खुद को विमान से इजेक्ट करने की भी कोशिश की लेकिन उनका पैराशूट नहीं खुल पाया. इसके बाद विमान एक जोरदार धमाके के साथ नीचे जा गिरा. विमान के मलबे से दो किलोमीटर दूर शहीद अभिनव चौधरी का पार्थिव शरीर मिला.
इस साल में ये पहली ऐसी दुर्घटना नहीं है. इससे पहले 18 मार्च को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी एक मिग 21 बायसन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. जिसमें भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता शहीद हो गए थे. यानी इस साल में मिग विमानों (Mig Fighter 21 Plane) की वजह से भारत ने अपने दो जाबांज़ Heroes को खो दिया और साथ ही दो मिग 21 बायसन क्रैश हो गए. इन विमानों को हमारे देश में फ्लाइंग कॉफिन यानी आसमान में उड़ते हुए ताबूत भी कहा जाता है. ऐसा क्यों कहा जाता है, अब आप इसे समझिए.
वर्ष 1960 के दशक में भारत में Chevrolet कम्पनी की एक कार लॉन्च हुई थी, जिसका नाम था ‘Impala’ (इम्पाला). तब इस कार को लेकर हमारे देश में काफी क्रेज़ था. लेकिन समय बदला और फिर नई नई गाड़ियां आती चली गईं. आज आपके पास भी नए Model वाली कोई नई गाड़ी या मोटरसाइकल होगी. लेकिन सोचिए 50-60 साल पहले खरीदा गया वाहन आपको आज भी इस्तेमाल करना पड़ता को क्या होता?
50-60 साल से इस्तेमाल में हैं मिग विमान
तो शायद गाड़ी हर समय ख़राब रहती, आए दिन उसमें कोई ना कोई परेशानी आती और ज़्यादा सम्भावना ये है कि वो वाहन हर समय खड़ा रहता है. यानी 50- 60 साल पुरानी गाड़ी आज भी उसी स्थिति में नहीं चलाई जा सकती है. और यही बात मिग सीरीज के लड़ाकू विमानों पर लागू होती है.
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने वर्ष 2019 में भी इस बात का ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा था कि भारतीय वायुसेना 44 साल पुराना मिग-21 विमान उड़ा रही है. जबकि कोई इतने समय तक अपनी कार भी नहीं चलाता है. गुरुवार को जिस दुर्घटना में देश ने अपने एक वीर जवान को खो दिया, वो इसी विमान को उड़ा रहे थे.
मिग सीरीज के लड़ाकू विमान (Mig Fighter 21 Plane) पिछले 50 वर्षों से भारतीय वायु सेना की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं. भारतीय वायु सेना को वर्ष 1960 के बाद से 850 से अधिक मिग लड़ाकू विमान मिल चुके हैं. यही नहीं ये विमान 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध, फिर 1971 के युद्ध, और फिर 1999 के कारगिल युद्ध में देश के लिए निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं.
युद्ध के मैदान में अब भी हैं घातक
इन विमानों की उम्र भले 50 वर्ष से ज़्यादा हो गई है लेकिन आज भी एक अपग्रेडेड मिग 21 विमान आसमान में किसी भी आधुनिक विमान को टक्कर दे सकता है. इसका सबूत पूरी दुनिया वर्ष 2019 में देख चुकी है, जब भारतीय वायु सेना के Wing Commander अभिनंदन वर्धमान ने एक मिग-21 बायसन से पाकिस्तान के पांचवीं पीढ़ी के आधुनिक विमान F-16 को मार गिराया था.
सरल शब्दों में कहें तो मिग सीरीज़ के इन विमानों की लड़ने की क्षमता आज भी बरकरार है और ये अचूक है लेकिन Safety के मामले में इस विमान का Record ज्यादा अच्छा नहीं है. इसीलिए इस सीरिज़ के विमानों को हमारे देश में फ्लाइंग कॉफिन भी कहा जाता है.
इसे आप कुछ आंकड़ों से भी समझ सकते हैं.
वर्ष 2012 तक आते आते भारत के 872 मिग विमानों के बेड़े में से लगभग आधे विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके थे. वर्ष 2003 से 2013 के बीच यानी 10 वर्षों में 38 मिग 21 विमान क्रैश हो गए. अगर आज से पिछले 10 वर्षों की बात करें तो इस समय अवधि में भी 20 मिग- 21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए.
दुर्घटना में अब तक 180 पायलट शहीद
महत्वपूर्ण बात ये है कि वर्ष 1970 से लेकर आज तक भारतीय वायु सेना के 180 से अधिक Pilot मिग विमानों की उड़ान के दौरान शहीद हो चुके हैं. इसके अलावा इन दुर्घटनाओं में 40 नागरिकों की भी जान गई है.
ऐक्सपर्ट्स की मानें तो वो मिग सीरीज़ विमानों की दुर्घटनाओं के पीछे पांच कारण मानते हैं.
पहला कारण – मिग सीरीज के विमानों (Mig Fighter 21 Plane) की ताक़त ही उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है. जैसे इसकी स्पीड. आसमान में ये विमान 250 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से उड़ सकते हैं, जो इसे सबसे तेज़ फाइटर जेट्स की श्रेणी में लाकर खड़ा करते हैं. इसके अलावा लैंडिंग के समय भी मिग विमानों की स्पीड लगभग 350 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जो काफ़ी अधिक है. ऐक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसी स्पीड की वजह से इस विमान को ऑपरेट करना बहुत मुश्किल हो जाता है और दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है.
दूसरा कारण है इस सीरीज़ के विमानों का डिज़ाइन. ऐक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस विमान की Canopy आकार में बहुत छोटी है. Canopy असल में विमान के उस हिस्से को कहते हैं, जहां बैठक कर Pilot विमान को ऑपरेट करता है. कहा जाता है कि आकार में इस हिस्से के छोटा होने से कई बार Pilot को रनवे नहीं दिख पाता. विमान की स्पीड काफ़ी ज्यादा होती है और शायद इस वजह से भी कई बार दुर्घटनाएं होती हैं.
बहुत पुराने समय से चल रहे हैं मिग विमान
तीसरा कारण है इन विमानों की लम्बी उम्र. भारत को वर्ष 1960 में मिग सीरीज का पहला विमान (Mig Fighter 21 Plane) मिला था. कई दशकों के बाद भी ये विमान भारतीय वायु सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. हालांकि कई मिग विमान ऐसे भी हैं, जो रिटायर हो गए हैं और आज Museum और ढाबों की शोभा बढ़ा रहे हैं. ऐसा ही एक मिग 21 विमान हरियाणा के रोहतक में एक ढाबे के बाहर खड़ा है. इसकी तस्वीरें भी आज हमारे पास हैं.
चौथा कारण है कि मिग विमानों को बनाने वाला Russia भी वर्ष 1990 से इनका निर्माण नहीं कर रहा है. इसलिए इन विमानों को सेवा में बनाए रखने के लिए भारत को Israel और दूसरे देशों से इसके Spare Parts लेने पड़ते हैं और दूसरी कम्पनियों के Spare Parts इस्तेमाल करने से भी दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है.
आखिरी कारण ये है कि मिग सीरीज के विमान Single Engine वाले लड़ाकू विमान हैं. जिसकी वजह से जब उड़ान के दौरान इंजन में खराबी होती है तो इसे सपोर्ट करने के लिए दूसरा इंजन विमान में नहीं होता. यही वजह है कि दुर्घटनाओं को रोकना मुश्किल होता है.
लाल फीताशाही ने बढ़ाई मुश्किलें
हालांकि आज ये समझना भी ज़रूरी है कि 50- 60 वर्ष पुराने मिग लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में अपनी सेवाएं आज भी क्यों दे रहे हैं? इसका सबसे बड़ा कारण है लाल फीताशाही. असल में मिग विमानों के बेड़े को तेजस विमानों से रिप्लेस करना था, जो भारत में ही विकसित हो रहे हैं. लेकिन इस विमान को विकसित करने में वर्षों की नहीं बल्कि दशकों की देरी हुई.
भारतीय वायु सेना को इस समय 42 Squadron की ज़रूरत है. एक Squadron में 18 फाइटर जेट होते हैं. और Two Front War यानी अगर भारत एक समय में पाकिस्तान और चीन दोनों से युद्ध लड़ता है तो उसे 42 Squadron की ज़रूरत होगी. यानी कम से कम 756 विमान चाहिए होंगे. लेकिन हम इस संख्या से अभी पीछे हैं.
इन तमाम स्थितियों को देखते हुए ही भारत ने फ्रांस से Rafale की 2 Squadrons Fly Away Conditions में खरीदी हैं. Fly Away Conditions का मतलब है कि विमान पूरी तरह से तैयार है और उसका इस्तेमाल तत्काल शुरू हो सकता है.
फ्रांस से खरीदे राफेल विमान
भारत को 36 Rafale विमानों के अलावा जल्द ही 40 तेजस विमान भी मिलने वाले हैं. हालांकि इसके बावजूद वर्ष 2023 तक भारतीय सेना के पास 29 Squadrons ही उपलब्ध हो पाएंगे. जबकि Two Front War में 42 Squadrons चाहिए होंगे.
Squadron Leader अभिनव चौधरी उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले थे और उनकी शहादत ने उनके परिवार की हिम्मत तोड़ दी है. हम अपनी इस रिपोर्ट को Squadron Leader अभिनव चौधरी को समर्पित करते हैं.
आग का गोला बनकर खेतों में गिरा
भारतीय वायुसेना के मिग 21 फाइटर जेट (Mig Fighter 21 Plane) का मलबा रात में जब आग का गोला बनकर खेतों में गिरा तो पंजाब के मोगा जिले के लंगेआना गांव के लोगों को लगा जैसे बम गिरा हो.गांव के लोग भागकर दुर्घटनास्थल पर पहुंचे तो आसमान में कुलांचे खाने वाले मिग 21 की चिता जमीन पर जल रही थी.
2200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने वाला मिग जब उसी तेज रफ्तार से नीचे गिरा तो जिस जगह वो गिरा वहां पर बड़ा सा गड्ढा हो गया. उसके बाद आग की लपटों में घिरे मिग 21 के जलते हिस्से खेतों में यहां वहां फैल गए.
गांववालों को हादसे को देखकर कुछ समझ नहीं आया. हालांकि पुलिस तो तुरंत खबर दी गई तो पुलिस के आलाधिकारी वहां पहुंचे और सेना से जुड़े लोगों को जानकारी दी गई.
पायलट की मौत से टूट गए हैं परिवार वाले
वैसे तो मिग 21 की दुर्घटनाओं का इतिहास बहुत पुराना है. अक्सर कहा जाता है कि मिग 21 विमान उड़ते ताबूत हो गए हैं. लेकिन ये हादसा दुखदायी है क्योंकि इस हादसे में एक यंग पायलट स्क्वॉड्रन लीडर अभिनव चौधरी की जान चली गई. उनका शव 4 घंटे की खोजबीन के बाद दुर्घटनास्थल से 2 किमी की दूरी पर मिला. अभिनव का परिवार उनकी मौत की खबर से टूट गया है.
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मेरठ के रहने वाले पायलट अभिनव चौधरी मात्र 30 साल के थे. उनका एनडीए में सिलेक्शन हुआ था. अभिनव ना सिर्फ एक काबिल पायलट थे बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक भी थे. करीब डेढ़ साल पहले वो तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने दहेज के नाम पर मात्र 1 रु. लेकर शादी की थी. इकलौते बेटे को खोने का गम परिवार पर भारी पड़ रहा है.
वायु सेना की टीम साथ ले गई शव
अभिनव ने मिग 21 विमान से सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरी थी. प्रैक्टिस के बाद वो सूरतगढ़ वापस जा रहे थे तभी ये हादसा हुआ. खबर मिलने के बाद बठिंडा और हलवारा एयरफोर्स स्टेशन से वायु सेना की टीमें वहां पहुंची. इसके बाद विमान (Mig Fighter 21 Plane) का मलबा और अभिनव का शव अपने साथ ले गईं.
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