News in Brief

Giridih: शनिवार को एक महिला अपने पति का अंतिम संस्कार करने के लिए इधर-उधर भटकती रही. महिला अपने पति के शव को एंबुलेंस में लेकर कभी सिहोडीह तो कभी बरमसिया स्थित मारवाड़ी शमसान घाट जा रही थी. लेकिन दोनों ही स्थान पर स्थानीय लोगों के द्वारा शव को जलाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी. 

ये भी पढ़ेंः गिरिडीह: तड़प रहे शख्स को छोड़ लंच करने गई नर्स, मरीज की हुई मौत, 10 दिन बाद थी बेटी की शादी

अंत में बरमसिया के लोगों ने महिला के दर्द को देखते हुए शमसान घाट में अंतिम संस्कार करने की अनुमति दे दी और स्थानीय युवकों ने महिला का सहयोग करते हुए मानवता का परिचय देकर शव का अंतिम संस्कार कराया. दरअसल, यह पूरा मामला सदर प्रखंड अंतर्गत उदनाबाद निवासी परमानंद राम की मौत का है.  कोरोना पॉजिटीव (Corona Positive) हो जाने के बाद इलाज के क्रम में हजारीबाग के एक अस्पताल में शनिवार को हो गई.  

परमानंद की मौत हो जाने के बाद उनकी पत्नी और उनके साथ एक अन्य व्यक्ति परमानंद के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए कई शमसान घाट पर घूमते रही. लेकिन कहीं पर भी शव को अंतिम संस्कार करने की इजाजत स्थानीय लोगों ने नहीं दी. इसके बाद परमानंद की पत्नी अपने पति के शव को एंबुलेंस से लेकर सिहोडीह पहुंच गयी जहां पर जिला प्रशासन ने अंतिम संस्कार करने के लिए स्थल चयनित किया है. 

लेकिन यहां पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों ने शव का अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दी और महिला को वापस जाना पड़ा. इसके बाद महिला अपने पति का शव लेकर बरमसिया स्थित मारवाड़ी शमसान घाट पहुंच गई. लेकिन यहां पर भी स्थानीय लोगों ने इसका विरोध कर दिया और एंबुलेंस को सड़क पर ही रोककर विरोध करना शुरू कर दिया. 

ये भी पढ़ेंः Giridih में डॉक्टर बने ‘यमराज के दूत’, बिना PPE किट के सौंपा परिजनों को शव

इसे बाद महिला फिर वहां से भी निकल गई और दूसरी जगह चली गई. लेकिन जब वहां पर भी लोगों ने शव का अंतिम संस्कार करने नहीं दिया तो फिर से महिला बरमसिया स्थिम मारवाड़ी शमसान घाट पहुंच गई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने महिला के दर्द को देखते हुए मानवता का परिचय दिया और फिर स्थानीय बिकास सिन्हा, रॉकी नवल, रामजी यादव, सुशील शर्मा, पप्पू सिंह, अशोक सिन्हा, विक्की शर्मा, दिलीप अग्रवाल, गोपी दास, बमबम पांडेय आदि लोगों ने मिलकर शव का अंतिम संस्कार करवाया.

(इनपुट-मृणाल सिन्हा)