नई दिल्ली: हम आपको उन बड़ी Technology कम्पनियों के बारे में बताना चाहते हैं. जिन्होंने भारत के साथ अंग्रेज़ों की ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया है.
भारत में 17वीं सदी में जब ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी. तब भारत आते ही उसने हमारे देश को गुलाम नहीं बना लिया था बल्कि इस कम्पनी ने 100 वर्षों तक भारत में खुद को मज़बूत किया. वर्ष 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद भारत को अपना गुलाम बना लिया.
बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में देख रही बड़ी भूमिका
इस युद्ध को आज 264 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन ईस्ट इंडिया कम्पनी के रूप में दुनिया की कई बड़ी Technology कम्पनियां भारत में अपनी बड़ी भूमिका देख रही हैं. इसलिए आज इन सबके बारे में आपतो बताना जरूरी है.
आपको याद होगा तीन महीने पहले 25 फरवरी को भारत सरकार ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग और गालियों को Glamourize करने वाले Online Streaming Platforms को लेकर एक क्रान्तिकारी फैसला लिया था.
सरकार ने टेक कंपनियों को दिए थे कई निर्देश
इस फ़ैसले के तहत भारत सरकार ने इंटरनेट के रास्ते आप तक पहुंचने वाली हर जानकारी, मनोरंजन और खबरों के बीच एक सीमा रेखा खींच दी थी. ये इंटरनेट वाले युग की लक्ष्मण रेखा थी, जो सही और गलत के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए बनाई गई थी. तब सरकार ने सोशल मीडिया से जुड़ी Technology कम्पनियों जैसे ट्विटर, फेसबुक, Instagram और Whats App को कुछ कड़े क़दम उठाने का निर्देश दिए थे.
और इन निर्देशों पर अमल करने के लिए इन कम्पनियों को तीन महीने दिए गए थे. यह समय सीमा मंगलवार को समाप्त होने वाली है. लेकिन हमें जो ख़बर मिली है, उसके मुताबिक़ इनमें से किसी भी कंपनी ने सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया है. सम्भव है कि सरकार इनके खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाए.
कंपनियों को ये काम करने थे
सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि सरकार ने इन बड़ी Technology कम्पनियों को क्या निर्देश दिए थे. भारत सरकार ने इन कम्पनियों को सोशल मीडिया पर लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए एक सिस्टम बनाने के निर्देश दिए थे. इसके तहत इन कम्पनियों को तीन अधिकारियों की नियुक्ति करनी थी.
पहला अधिकारी Chief Compliance Officer था, जो ये सुनिश्चित करता कि लोगों की शिकायतों पर कानून के तहत ही क़दम उठाए जाएं. ये Officer भारत में रह कर ही काम कर सकता है. हमें ख़बर मिली है कि Koo को छोड़ कर किसी भी कम्पनी ने इस अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है.
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इसके अलावा कंपनियों को एक Nodal Contact Officer भी नियुक्त करना था, जो भारत की जांच एजेंसियों और मंत्रालयों के सम्पर्क में रहता. इस पद पर भी इन कंपनियों ने किसी की नियुक्ति नहीं की है.
इसके अलावा सरकार ने कहा था कि इन कम्पनियों को एक Grievance Officer नियुक्त करना होगा, जो अपने Users की शिकायतों पर 24 घंटे के अन्दर क़दम उठाता और 15 दिन में उस शिकायत का निवारण करता. ये पद भी इन कम्पनियों ने नहीं बनाया.
कू को छोड़कर किसी कंपनी ने नहीं लिया एक्शन
इसके अलावा सरकार द्वारा इन कम्पनियों को ये निर्देशित किया गया था कि इन कम्पनियों को मासिक रिपोर्ट बनानी होगी. जिसमें ये कंपनियां सरकार को बताएंगी कि उन्हें पूरे महीने में कितनी शिकायतें मिलीं और उन पर क्या कार्रवाई हुई. लेकिन 90 दिनों के बाद इस पर भी कुछ नहीं हुआ.
इसी तरह सरकार ने अपने दिशा निर्देशों में कहा था कि फेसबुक, Whats App और Twitter सहित सभी Technology कम्पनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके Users की किसी जानकारी, Photos और Videos का गलत इस्तेमाल न हो. अगर किसी व्यक्ति की आपत्तिजनक तस्वीरों को शेयर किया जाता है या Nudity को प्रमोट किया जाता है तो ऐसी पोस्ट को 24 घंटे के अन्दर हटाना होगा. साथ ही ऐसी तस्वीरों को शेयर करने वाले का अकाउंट भी बन्द करना होगा.
ऐसे मामलों में पीड़ित के अलावा उसका परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और अज्ञात लोग भी शिकायत कर सकते हैं और इन शिकायतों को अब किसी भी सूरत में नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकेगा. सरकार के मुताबिक 90 दिनों के अन्दर इस तरह की कार्रवाई के लिए इन कम्पनियों को एक सिस्टम तैयार करना था, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ.
इसके अलावा सरकार ने कहा था कि अगर ये कंपनियां किसी User द्वारा की गई पोस्ट या तस्वीर हटाती हैं तो उन्हें इसकी ठोस वजह उसे बतानी होगी. साथ ही उसे स्पष्टीकरण का पूरा मौक़ा भी दिया जाएगा. इसके लिए भी इन कंपनियों को 3 महीने में एक सिस्टम बनाना था लेकिन इन कम्पनियों ने कोई क़दम नहीं उठाया.
क्या ताकतवर टेक कंपनियों पर होगी कार्रवाई?
हमें ऐसी ख़बरें मिली हैं कि सिर्फ़ भारतीय कम्पनी Koo को छोड़ कर किसी और कम्पनी ने इन दिशा निर्देशों पर कोई क़दम नहीं उठाया. अब सरकार की ओर से दी गई मोहलत कल ख़त्म होने वाली है. अब सवाल है कि जब सरकार ने इन कम्पनियों को तीन महीने दिए थे तो फिर भी सरकार के आदेशों की अनसुनी क्यों हुई? क्या ये Technology कंपनियां सरकार से भी बड़ी हो गई हैं?
इनमें से कुछ कंपनियों का कहना है कि उन्हें इन दिशा निर्देशों पर अमल करने के लिए अमेरिका में मौजूद इनके हेडक्वार्टर्स से अनुमति लेनी होगी. सोचिए ये कम्पनियां व्यापार तो भारत में करती हैं. भारत में इनके करोड़ों Subscribers हैं लेकिन ये भारत सरकार का आदेश नहीं मानेंगी. इन्हें अपने Headquarter से मंजूरी मिलने का इंतज़ार है.
हालांकि आज सवाल ये भी है कि कल जब सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा ख़त्म हो जाएगी तब क्या होगा? क्या भारत सरकार इन कम्पनियों के ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठा सकती है. इन कम्पनियों को IT Act 2000 के सेक्शन 79 के तहत जो Protection मिलती है, वो ख़त्म की जा सकती है.
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IT Act 2000 का सेक्शन 79 ये सुनिश्चित करता है कि अगर इन कम्पनियों के सोशल मीडिया Platform पर कोई व्यक्ति गैर क़ानूनी जानकारी शेयर करता है तो इसके लिए ये कंपनियां ज़िम्मेदारी नहीं होंगी. हालांकि सरकार ने 25 फरवरी को जो दिशा निर्देश दिए थे, उनमें कहा था कि अगर कोर्ट और सरकार के आदेश के बाद ये कम्पनियां किसी कटेंट को नहीं हटाती हैं तो सेक्शन 79 के अन्तर्गत उनसे ये अधिकार छीन लिया जाएगा.
भारत में सोशल मीडिया के सबसे ज्यादा फॉलोवर
भारत में Whats App के 53 करोड़, Youtube के 44 करोड़ 80 लाख, Facebook के 41 करोड़, Instagram के 21 करोड़ और Twitter के 1 करोड़ 75 लाख Users हैं. ऐसे में ये मत सोचिए कि ये खबर आपसे नहीं जुड़ी है. इन कंपनियों का भारत के प्रति ठीक वैसा ही व्यवहार है, जैसा ईस्ट इंडिया कम्पनी का था. इन कम्पनियों की मुट्ठी में भारत के करोड़ों Users हैं. इसलिए आज ज़रूरी है कि आप इन कम्पनियों के असली चरित्र को भी समझें.
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