रतलाम/चंद्रशेखर सोलंकीः महामारी काल ने सभी को ऑक्सीजन से लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था की अहमियत समझा दी. हर कोई ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है, ज्यादातार सरकारी अस्पतालों में कोविड का मरीजों इलाज हो रहा था. वहीं अब प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में कोविड का इलाज शुरू होने के बाद यहां भी ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने लगी. जिसे देखते हुए रतलाम जिला कलेक्टर ने ऑक्सीजन का ऑडिट शुरू करवा दिया. साथ ही निर्देश दिए कि कोविड मरीज निजी क्लिनिक या डॉक्टरों के घर इलाज कराने नहीं जा सकेंगे.
कोविड पॉजिटिव न जाएं निजी क्लिनिक
कलेक्टर ने निर्देश जारी करते हुए बताया कि मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होने पर अब वे निजी क्लिनिक में नहीं जा सकेंगे. संक्रमित होने पर मरीज सीधे डॉक्टरों के घर या निजी क्लिनिक पहुंच रहे थे, इससे बाकी लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा है. डॉक्टरों को भी निर्देश दिए गए कि वे घर या क्लिनिक पर संक्रमित को न देखें. कलेक्टर ने साथ ही निर्देश दिए कि जो भी कोविड मरीज निजी क्लिनिक या डॉक्टर के घर पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
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निजी अस्पतालों में लगातार बढ़ रही डिमांड
रतलाम कलेक्टर गोपालचंद्र डांड ने बताया कि जिले में ऑक्सीजन की उचित देखरेख के लिए ऑडिट शुरू किया. जिले को रोज 12 से 13 टन ऑक्सीजन मिल रहा है, सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों को भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन दिया जा रहा. बावजूद उसके प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी होने लगी, जिसके चलते डिमांड बढ़ने लगी है.
‘अस्पतालों में नहीं है ऑक्सीजन की कमी’
कलेक्टर ने बताया कि निजी अस्पातलों का ऑडिट शुरू करवाया गया. डेली आने वाले कोविड मरीजों की संख्या देखी जा रही, इसमें कितनों को डेली ऑक्सीजन दिया जा रहा, ये पता लगाया गया. इससे एक बात सामने आई कि निजी अस्पतालों को जितनी ऑक्सीजन दी गई, वह मरीजों के लिए पर्याप्त है. जिसे देखते हुए एक चीज साफ है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं है.
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