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Jaipur : अक्षय तृतीया प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल की तृतीया को मनाई जाती है. इस साल अक्षय तृतीया शुक्रवार 14 मई को मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2021) से बहुत सी पौराणिक एवं ऐतिहासिक घटनाएं इससे जुड़ी हुई हैं. त्रेता युग का आरंभ वैशाख शुक्ल तृतीया को ही हुआ था. भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था. भगवान परशुराम चिरंजीवी महापुरुष हैं इसलिए यह तिथि चिरंजीवी अथवा अक्षय तृतीया कहलाती है. 

महाभारत काल में युधिष्ठिर को वनवास काल में भगवान ने इसी दिन अक्षय पात्र दिया था. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) के कारण घर में पूजा करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें. महामारी के इस समय में इस दिन किसी मदद चाहने वाले व्यक्ति को दान करना बहुत पुण्य फलदायी रहेगा. 

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अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का पर्व इस बार ऐसे समय में पड़ रहा है. जब देश लॉकडाउन में बंद है. केवल जरूरी चीजों के अलावा इस वक्त कुछ भी खरीद पाना संभव नहीं है. अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी का सर्वाधिक महत्व होता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से आपके घर में धन की कभी कमी नहीं होती, लेकिन इस बार आपके लिए सोना खरीद पाना संभव नहीं है. इसमें चिंता की कोई बात नहीं है.  

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर आप दान करके भी अक्षय फल की प्राप्ति कर सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान भी आपको अक्षय फल के रूप में वापस होकर मिलता है. इस दिन का अर्थ है, जिसका कभी क्षय न हो या जो कभी नष्ट न हो. इस दिन इस दिन दान-पुण्य करने के विशेष है और अक्षय फल की प्राप्ति होती है. किसी भी व्यक्ति जिसे मदद की जरूरत है उसे देवता व पितरों के नाम से जल, कुंभ, शक्कर, सत्तू, पंखा, छाता फलादि का दान करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है. 

जल से भरा हुआ घड़ा, शक्कर, गुड़, बर्फी, सफेद वस्त्र, नमक, शरबत, चावल, चांदी का दान भी किया जाता है. इससे अक्षय पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है और महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.  इसी दिन दस महाविद्या में नवमी महाविद्या मातंगी देवी का प्रार्दुभाव हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए. पितृदोष निवारण के लिए पितरों को तर्पण देना बहुत लाभदायक होता है.

इस बार शुभ योग
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर चंद्रमा व शुक्र दोनों ही वृषभ राशि में रहेंगे. जिसके कारण अक्षय तृतीया पर लक्ष्मी योग बन रहा है. यह योग को समृद्धि देने वाला माना जाता है. इस बार लक्ष्मी नारायण योग और गजकेसरी योग भी बन रहा है. इसके साथ ही अक्षय तृतीया पर सुकर्मा और धृति योग का निर्माण भी हो रहा है. वहीं, इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा. ये दोनों ही शुभ योग हैं. इस बार अक्षय तृतीया के दिन सुकर्मा योग 14 मई रात 12 बजकर 15 मिनट से 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और ठीक इसके बाद से धृति योग आरंभ हो जाएगा. 

सुकर्मा योग (Sukarma Yoga) को शुभ फल प्रदान करने वाला योग माना जाता है. कोई भी नया कार्य जैसे नौकरी या फिर धार्मिक कार्य करने पर उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं और कार्य में कोई बाधा नहीं आती है. इसे भगवान का स्मरण और पूजन करने और सत्कर्म करने के लिए सुकर्मा योग बहुत ही उत्तम माना जाता है. वहीं, धृति योग इसका अर्थ धैर्य माना गया है. माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों का भी शुभ फल प्राप्त होता है, लेकिन कार्य पूर्ण होने के लिए थोड़ा सा धैर्य रखना पड़ता है. मकान-जमीन आदि का नींव पूजन शिलान्यास भूमि पूजन आदि के लिए यह योग बहुत अच्छा माना जाता है. इस योग में रखी गई नींव के घर में रहने वालों को सभी सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है और जीवन खुशहाल रहता है.

लक्ष्मी नारायण योग रात 09:26 बजे से 10:45 बजे तक
गजकेसरी योग दोपहर 12 बजे से 01:45 बजे तक

मां गंगा का धरती पर हुआ था आगमन
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को लेकर मान्यता ये है कि इसी दिन मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था. इस दिन को पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. अक्षय तृतीया वाले दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन जो भी भक्त सच्चे मन से भगावन विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है उसे मनचाहा फल मिलता है.

पितरों का कर सकते हैं तर्पण
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों में लिखा है कि अक्षय तृतीया के दिन पितरों का तर्पण तथा पिन्डदान के साथ दान अक्षय फल प्रदान करना शुभ होता है. इस दिन गंगा स्नान करने से भगवत पूजन से समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं. इस दिन किया गया तप हवन स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है. ये तिथि रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान जप तप का फल भी अधिक बढ़ जाता है.

दान करो तो मिलता अक्षय पुण्य 
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को कमाया गया पुण्य अक्षय रहता है. विष्णुजी के तीनों अवतार जैसे नर, परशुराम, हयग्रीव अक्षय तृतीया को हुए थे. अक्षय तृतीया पर दान करना बहुत ही शुभ माना गया है. अगर इस दिन इन 14 चीजों का दान किया जाए तो उत्तम फल प्राप्त होता है. इन चीजों में गौ, भूमि, सोना, घी, कपड़े, धान, गुड़, चांदी, नमक, शहद, मटकी, खरबूजा, खड़ाऊं, और कन्या दान शामिल हैं. इसके साथ ही इस दिन विवाह का भी बहुत ही शुभ मुहूर्त होता है. 

शास्त्रों में है दान के प्रकार 
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक शास्त्रों में चार तरह के पुरुषार्थ का उल्लेख मिलता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. इसी तरह सनातन संस्कृति में कुछ संस्कारों का बड़ा महत्व है. इसी में से एक दान है. वेदों में तीन तरह के दानदाताओं का वर्णन किया गया है. जो उत्तम, मध्य और निकृष्ट. धर्म की उन्नति स्वरूप सत्यविद्या के लिए जो दान दिया जाता देता है वह उत्तम दान की श्रेणी में आता है. 

स्वार्थवश किया गया दान मध्यम दान की श्रेणी में आता है और जो व्यक्ति वेश्यागमनादि, भांड आदि दुराचारी व्यक्ति को दान देता है ऐसा दान निकृष्ट दान कहलाता है. पौराणिक शास्त्रों में अन्नदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि दान करने से भोगों की आसक्ति से छुटकारा मिलता है. कष्टों से मुक्ति और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है.जो व्यक्ति जरूरतमंद को दान करता है. वह इहलोक में सभी तरह के सुखों को भोगकर परलोक में मोक्ष को प्राप्त करता है. दान करने से ग्रहों के दोषों का भी निवारण होता है.

विभिन्न वस्तुओं के दान से विभिन्न फलों की होती है प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में दान-पुण्य के संबंध में कुछ खास बातें बताई गई है. इसके अनुसार दान देते समय दान देने वाले मानव का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और दान लेने वाले का मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. अलग-अलग पदार्थो के दान से अलग-अलग फल मिलता है. वस्त्रों का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. 

गुड़ का दान करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है. रूप और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए चांदी का दान करना चाहिए. दीपदान करने से नेत्र संबंधी रोग नहीं होते हैं. किसी मरीज को औषधि का दान करने से सुख की प्राप्ति होती है. गाय को घास का दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है. तिल का दान करने से संतान की प्राप्ति होती है. लोहे का दान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है.

पात्र का दान
अक्षय तृतीया पर दान के महत्व को देखते हुए इस दिन जल का कोई पात्र यानी बरतन जैसे गिलास घड़ा का दान करना चाहिए. ग्रीष्मकाल में जल से जुड़ी हुई शीतल चीजों का दान शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है.

गाय की करें सेवा
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि गुड़ का दान करें या जल में गुड़ मिलाकर गाय को पिलाएं. आप चाहें तो मीठी रोटी बनाकर भी गाय को खिला सकते हैं. अक्षय तृतीया रविवार को है ऐसे में यह उपाय आपके सूर्य को बलवान बनाएगा. ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है. हृदय को बल मिलता है और सरकारी क्षेत्र एवं पैतृक धन संपत्ति से सुख मिलता है.

नहीं कर पा रहे हैं सोने की खरीदारी तो
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि जौ खरीदकर भगवान विष्णु के चरणों में रखें. भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके बाद जौ को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखें. जौ को कनक यानी सोने के समान माना गया है. जौ का दान भी स्वर्ण दान के समान कहा गया है. अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा है. इसे शगुन माना जाता है. इस वर्ष सोना खरीदने के लिए घर से बाहर आप नहीं जा सकते हैं. दूसरी ओर मंदी के दौर में धन की बचत के लिए भी आप इस उपाय से अक्षय तृतीया का शगुन कर सकते हैं.

अन्न दान महादान
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर अन्न दान करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना गया है. इस दिन किए गए दान का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है. इसलिए अपने आस-पास के किसी जरूरतमंद को एक किलो चावल आटा या कोई अन्य अनाज दान दें. अगर आप चाहें तो इसकी मात्रा बढ़ा भी सकते हैं.

अक्षय तृतीया की पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना के लिए शिव-पार्वती और नर नारायण की पूजा भी की जाती है. इसके अलावा मां लक्ष्मी की पूजा करने का भी इस दिन विधान है. पूजा करने से पहले सुबह नहाकर स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की प्रतिमा को स्नान कराकर साफ कपड़े से पोछकर पूर्ववत रख दें. फिर रोली व चन्दन का टीका लगाकर पान, अक्षत, मौली, पुष्पमाला और फूल चढ़ाएं. इसके बाद नैवेद्य का भोग तुलसी के पत्ते के साथ लगाएं. पूजन के बाद कथा को सुनें और आरती उतारें. 

ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान दक्षिणा दें. सनातन संस्कृति में दान का बड़ा महत्व बताया गया है. पौराणिक ग्रंथों में दान का महिमामंडन करते हुए इसको भोग और मोक्ष दोनों के लिए आवश्यक बताया है. शास्त्रों में कहा गया है कि अपनी क्षमतानुसार दान-पुण्य करने से इहलोक में सभी सुखों की प्राप्ति होकर परलोक में मोक्ष मिलता है. इसलिए मानव सामान्य परिस्थतियों में, तिथि-त्यौहारो पर, तीर्थस्थलों पर, किसी कार्य विशेष कि सिद्धि के लिए दान करता है.

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया शुक्रवार 14 मई 2021 
अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त 
सुबह 05:38 से दोपहर 12:18 तक  
पूजा की कुल अवधि 6 घंटे 40 मिनट 
तृतीया तिथि प्रारम्भ. 14 मई 2021 सुबह 05:38 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त. 15 मई 2021 सुबह 07:59 तक

अक्षय तृतीय का महत्व
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन त्रेतायुग का आरंभ हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को परशुराम जंयती के रूप में भी मनाया जाता है. कहा जाता है अक्षय तृतीया पर दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के सभी सकंट दूर हो जाते हैं.

अबूझ मुहूर्त क्या है
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अबूझ मुहूर्त वह मुहूर्त होता है जिसमें आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. कभी-कभी कुछ ऐसी परिस्थिती भी आ जाती है जब आपके कार्य को करने के लिए कोई भी मुहूर्त नहीं निकलता. ऐसे में आपको अबूझ मुहूर्त में अपने सारे काम कर लेना चाहिए. ये बेहद पवित्र होता है.

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