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Patna: देश इस समय कोरोना (Corona) के सबसे गंभीर संकट से जूझ रहा है. लाखों लोग अस्पताल में भर्ती है.  किसी भी निजी अस्पताल में कोरोना का 7 से 10 दिन के इलाज का खर्च लाखों में आ रहा है. वहीं, गरीब तबके के लोगों को मुफ्त और बेहतर इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) वरदान साबित हो रही है.

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बिहार के श्रम संसाधन विभाग (Labour Resources Department) ने राज्य में कुल 30 लाख श्रमिकों को आयुष्मान भारत से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. इस योजना के तहत प्रत्येक निबंधित श्रमिक का सालाना प्रीमियम 18 रुपए की दर से चुकाया जाएगा. विभाग के मुताबिक, प्रदेश में ईंट-भट्ठा, होटल-ढाबे, छोटे कल-कारखाने और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के ठेकेदार व नियोक्ता को अपने कामगारों का निबंधन कराना अनिवार्य है.

बिहार के करीब 15 लाख श्रमिक आयुष्मान भारत योजना से जुड़ गए हैं. श्रम संसाधन विभाग की पहल पर निबंधित 14.89 लाख निबंधित श्रमिकों को आयुष्मान भारत से जोड़ने का काम पूरा हो गया है. इस योजना का लाभ उन श्रमिकों को मिल रहा है जो श्रम संसाधन विभाग में निबंधित हैं. 

पहली बार इस योजना से जुड़े श्रमिकों और उनके परिवार को पांच लाख रुपए तक का चिकित्सा लाभ मिलेगा. विभाग द्वारा योजना मद से श्रमिकों का सालाना प्रीमियम जमा किया जाएगा. वहीं, पहली किस्त के रूप में स्वास्थ्य विभाग को 117 करोड़ रुपए जल्द उपलब्ध कराया जाएंगे.  

इसी संबंध में श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ( Minister Jeevesh Mishra) ने कहा कि ‘इस कोरोना काल में बड़े पैमाने पर आयुष्मान भारत योजना से लोगों का इलाज हुआ है. प्रधानमंत्री ने देश के लोगों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ने का काम किया. इससे प्रेणा लेकर श्रम संसाधन विभाग में 15 लाख श्रमिक निबंधित हैं और उन्हें जोड़ने का काम किया है. 

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वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि ‘आयुष्मान भारत योजना बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की इस योजना से देश के गरीबों के बेहतर इलाज के लिए खर्चे की व्यवस्था की गई है.’ 
 
बिहार में भी इस व्यवस्था को शुरू किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) इस योजना की समीक्षा भी करते हैं. इस योजना में राज्य के अंदर 1,08,00,000 परिवार हैं. जो 5 करोड़ 85 लाख लोग हैं और वह इस योजना के अंदर कबर्ड हैं. इस योजना के अंतर्गत श्रम संसाधन विभाग की ओर से 15,00,000 लोगों का और डाटा मिला है. इन सारे लोगों को प्रतिवर्ष एक परिवार के लिए ₹5,00,000 तक इलाज के खर्च की राशि भारत सरकार और राज्य सरकार के द्वारा दी जाती है.

ऐसे परिवार में कोई बीमार पड़ता है तो उन्हें गोल्डन कार्ड दिया जाता है इस गोल्डन कार्ड से बिहार में या दूसरे राज्यों में जाकर उन अस्पतालों में इलाज करा सकता हैं. जो इस योजना के अंतर्गत पैनल में आते हैं.