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Patna: खेतों में पराली जलाने की समस्या राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी समस्या बन चुकी है. बिहार सरकार ने भी पराली जलाने के खिलाफ कई गाइडलाइन जारी किये हैं लेकिन उसके बावजूद किसान खेतों में पराली जला रहे हैं.

अब पराली की समस्या से जल्द छुटकारा दिलाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने ऐसी तकनीक विकसित की है कि पराली 15 दिनों में ही खेत मे खाद बन जाएगी. इस विधि को अमल में लाने में किसानों को महज खर्च करने होंगे 20 रुपये.

पराली प्रबंधन से जुड़े आईसीएआर के इस शोध को राज्य सरकार अमल में लाने की तैयारी कर रही है. दरअसल, आईसीएआर ने जो बायो डिकॉम्पोज़र का फॉर्मूला तैयार किया है वो एक कैप्सूल में आएगा.

इस कैप्सूल की कीमत 20 रुपये होगी. किसान आवश्यकता अनुसार उस कैप्सूल को पानी मे घोल कर डिकॉम्पोजर तैयार कर सकेंगे. इसके खेतो में छिड़काव के बाद न केवल पराली 15 दिनों में खाद बन जाएगा बल्कि खेतों में कम यूरिया का इस्तेमाल होगा. साथ ही सिंचाई के लिए आधे पानी की जरूरत होगी.

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बिहार सरकार ने इसे अमल में लाने और अध्ययन की जिम्मेवारी कृषि विभाग के अधिकारियों को सौंप दी है. विकास आयुक्त के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम इस काम को पूरा करेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने इस रसायन की खोज की है. दिल्ली के किसान इस रसायन का इस्तेमाल कर चुके हैं. जिसका प्रयोग सफल रहा है.

आईसीएआर ने 20 रुपये में 4 कैप्सूल का एक पैकेट तैयार किया है. इस कैप्सूल को 25 लीटर पानी मे मिलाकर रसायन तैयार किया जाता है और एक हेक्टेयर तक इसका छिड़काव किया जा सकता है.

इस रसायन के इस्तेमाल से किसानों को कई फायदे भी होंग. खेतों में यूरिया का इस्तेमाल कम करना पड़ेगा और सिंचाई के लिए पानी भी आधे लगेंगे. सामान्य तौर पर जिन खेतो में डिकॉम्पोज़र का इस्तेमाल नही हुआ होता है वहां खेतो को दो बार जोतना पड़ता है और पानी की खपत भी ज्यादा होती है. यानी ऐसे खेतो में लगभग 3 हजार रुपये का खर्च बुआई में होता है, जबकि डिकॉम्पोज़र के इस्तेमाल के बाद इसका खर्च महज 15 सौ रुपये रह जाएगा.