Patna: कोरोना (Corona) के बाद ब्लैक फंगस (Black Fungus) परेशानी का कारण बनता जा रहा है. बिहार में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं, बढ़ते हुए ब्लैक फंगस के मरीजों को देखते हुए सरकार ने इसे आपदा की श्रेणी की शामिल कर लिया है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि ‘ब्लैक फंगस के मरीजों के बेहतर इलाज के लिए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है.’
सरकार ने इसे एपिडेमिक डिजीज एक्ट (Epidemic disease Act) के तहत महामारी के रूप में घोषित किया है. मंत्री ने कहा कि ‘सभी अस्पतालों को ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार (Central Government) के गाइडलाइन को फॉलो करना होगा.
ये भी पढ़ेंः मंगल पांडे का दावा, बिहार में 10 मई को होगी 1000 डॉक्टरों की बहाली
वहीं, स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख इस रोग के संबंध में समय-समय पर जांच, इलाज एवं प्रबंधन को लेकर आदेश निर्गत कर सकेंगे. अगर कोई भी संस्थान उक्त प्रावधानों का उल्लंघन करती है, तो ऐपिडमिक डिजिज एक्ट की धारा-3 के तहत दंडनीय होगा. साथ ही, धारा-4 के प्रावधानों के अनुरूप कोई वाद या विधिक कार्रवाई संस्थित नहीं की जा सकेगी. अधिसूचना निर्गत होने की तारीख से एक वर्ष तक प्रभावी रहेगा.
इस बीमारी के इलाज हेतु आवश्यक दवा एंफोटेरिसिन (Amphotericin) के 6 हजार वायल पूर्व में ही विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पतालों एवं विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा चुके है. यह दवाई मरीजों को मुफ्त में मिलेगी.
ये भी पढ़ेंः बिहार में ब्लैक फंगस ऐपिडेमिक एक्ट के तहत महामारी घोषित: मंगल पांडेय
बिहार पहला राज्य है जिसने यह दवा जिलों में उपलब्ध करा दी है और अन्य राज्य भी एक-दो दिन में अपने राज्यों के सभी जिलों में इस दवा की आपूर्ति करा रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ‘ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए RMRI में दवाई का भंडार किया गया है. राजधानी पटना में AIMS, IGIMS, PMCH और NMCH में इलाज की विशेष व्यवस्था की गई है.’