

Patna: बिहार में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. लोग अभी कोरोना की मार से उभर ही रहे थे कि अब बिहार में ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है.
वहीं, इसके दुष्परिणाम को देखते हुए मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महामारी रोग अधिनियम 1897 (Epidemic diseases Act 1897) के तहत म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) को महामारी घोषित करने का आग्रह किया है. साथ ही इससे संबंधित दवाइयों एवं इंजेक्शन के उत्पादन में भी बढ़ोतरी की जा रही है.
इसी क्रम में जेडीयू महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता डॉक्टर तारा श्वेता आर्य ने कहा कि ‘ब्लैक फंगस कोविड से रिकवर पेशेंट में पाया जा रहा है. ये ऐसे लोगों में हो रहा है जिन्होंने कोविड के इलाज के दौरान स्टेरॉइड का इस्तेमाल किया था. इसके साथ ही डायबिटीज के मरीज और ऑक्सीजन के सहारे रह रहे लोगों में भी इसका असर ज्यादा देखा जा रहा है.’
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तारा श्वेता आर्य ने इस बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ‘ये फंगस कोई नया नहीं है. फंगस पहले भी आ चुका है और इसका ट्रीटमेंट भी संभव है. इससे पीड़ित मरीजों को सिर में दर्द, स्किन एलर्जी, काली पपड़ी जमना, आंखें लाल हो जाना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.’
तारा श्वेता ने आगे कहा कि कोविड से रिकवर किसी भी पेशेंट को अगर इस तरह की बीमारी होती है तो वह तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में इसकी जानकारी दें. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं हैं. बिहार सरकार ने इस बीमारी से लड़ने की भी पूरी तैयारी की हुई है. जिस तरह से हम कोरोना से जंग जीत रहे हैं ठीक उसी तरह हम इस नई बीमारी से भी जंग जीतेंगे. लेकिन उसके लिए लोगों को पूरी तरह से गाइडलाइन ऑफ प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ेगा.
डॉक्टर तारा श्वेता आर्य ने कहा कि लोगों को राज्य सरकार द्वारा बताए जा रहे प्रोटोकॉल को गंभीरता से सुनना और मानना पड़ेगा. इसके साथ ही अगर किसी भी व्यक्ति को ब्लैक फंगस के लक्षण महसूस होते हैं तो वह तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह ले, जिससे कि जल्द से जल्द उन लक्षणों की पहचान कर उसका उपचार शुरू किया जा सके.’