नई दिल्ली: देश में ब्लैक फंगस (Black fungus) की बढ़ती बीमारी और उससे जुड़ी दवा की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है. सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए शुक्रवार को कई बड़े कदम उठाने की घोषणा की.
टीके के लिए 5 नई कंपनियों को लाइसेंस
केंद्र सरकार ने देश में कोरोना महामारी (Coronavirus) के साथ ही बढ़ रही ब्लैक फंगस (Mucormycosis) की दवाई बनाने के लिए 5 और नई कंपनियों को लाइसेंस जारी किए. देश में अब तक 5 कंपनियां Amphotericin B टीके का उत्पादन कर रही थीं. इनमें Bharat Serum and Vaccines Ltd, BDR Pharmaceuticals, Sun Pharma, Cipla, Life Care Innovation शामिल थीं. वहीं Mylan Lab से इसकी दवाई आयात की जा रही थीं.
देश में नहीं रहेगी टीकों की कमी
सरकार ने अब नई 5 कंपनियों NATCO Pharmaceuticals, Alembic Pharmaceuticals, Gufic Bioscience, Emcure pharmaceuticals और Lyka को लाइसेंस जारी किया है. इसके बाद देश में Amphotericin B टीके का उत्पादन करने वाली कंपनियों की संख्या 10 हो जाएगी. जिससे देश में लोगों को ब्लैक फंगस (Black fungus) के इलाज के लिए इस टीके की कमी नहीं रहेगी.
जून में 5 लाख 70 हजार टीके बनेंगे
जानकारी के मुताबिक देश की पुरानी 5 कंपनियां ने मई में 1 लाख 63 हजार 752 vials का उत्पादन किया. इस क्षमता को जून में बढ़ाकर 2 लाख 55 हजार 114 करने की योजना है. देश में मई में 3 लाख 63 हजार vials आयात किया गया. अब जून में 3 लाख 15 हजार vials आयात किए जाएंगे. ऐसे में जून में देश में कुल 5 लाख 70 हजार 114 टीके (Vials) उपलब्ध होंगे.
आयात बढ़ाने की कोशिश में सरकार
सरकार ने जिन 5 कंपनियों को नया लाइसेंस दिया है. वे जुलाई में 1 लाख 11 हजार टीके का उत्पादन करेंगी. वहीं आयात बढ़ाने के लिए दुनिया में दूसरी दवा कंपनियों की भी तलाश की जा रही है. इसके लिए सरकार तेजी से कदम उठा रही है. जिससे देश में ब्लैक फंगस (Black fungus) से प्रभावित मरीजों को ठीक करने में दवाइयों की कोई कमी न रहे.
Mucormycosis यानी ब्लैक फंगस क्या है?
ब्लैक फंगस (Black fungus) का मेडिकल नाम म्यूकॉरमायकोसिस है. जो कि एक दुर्लभ व खतरनाक फंगल संक्रमण है। ब्लैक फंगस इंफेक्शन वातावरण, मिट्टी जैसी जगहों में मौजूद म्यूकॉर्मिसेट्स नामक सूक्ष्मजीवों की चपेट में आने से होता है. इन सूक्ष्मजीवों के सांस द्वारा अंदर लेने या स्किन कॉन्टैक्ट में आने की आशंका होती है. यह संक्रमण अक्सर शरीर में साइनस, फेफड़े, त्वचा और दिमाग पर हमला करता है.
कोरोना और ब्लैक फंगस में क्या है रिश्ता?
वैसे, तो हमारा इम्यून सिस्टम यानी संक्रमण व रोगों के खिलाफ लड़ने की क्षमता ब्लैक फंगस यानी म्यूकॉरमायकोसिस के खिलाफ लड़ने में सक्षम होता है. लेकिन, कोविड-19 (कोरोनावायरस) हमारे इम्यून सिस्टम को बेहद कमजोर कर देता है. इसके साथ ही कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां व स्टेरॉयड भी इम्यून सिस्टम पर असर डाल सकते हैं. इन प्रभावों से कोरोना के मरीज का इम्यून सिस्टम बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है. इसी कारण, कोविड-19 के मरीज का इम्यून सिस्टम ब्लैक फंगस के कारक सूक्ष्मजीवों (म्यूकॉर्मिसेट्स) के खिलाफ लड़ नहीं पाता.
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किन लोगों को है ब्लैक फंगस का खतरा?
यह फंगल इंफेक्शन किसी भी उम्र व लिंग के लोगों को हो सकता है. हम अपनी जिंदगी में कई बार इसके संपर्क में आकर ठीक भी हो जाते होंगे और हमें पता भी नहीं लगता. हमारा इम्यून सिस्टम म्यूकॉरमायकोसिस के खिलाफ आसानी से लड़ सकता है. मगर जिन लोगों में किसी गंभीर बीमारी या दवाइयों के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, उन्हें इस फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है. जैसे:-
एचआईवी या एड्स
कैंसर
डायबिटीज
ऑर्गन ट्रांसप्लांट
व्हाइट ब्लड सेल का कम होना
लंबे समय तक स्टेरॉयड का इस्तेमाल
ड्रग्स का इस्तेमाल
पोषण की कमी
प्रीमैच्योर बर्थ, आदि
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