नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 की दूसरी लहर से ‘निपटने के लिए तैयारी न होने’ और संक्रमण में भारी वृद्धि के बावजूद ‘धार्मिक मेलों के आयोजन जारी रखने’ को लेकर राज्य सरकार की जमकर खिंचाई की. अदालत ने सरकार से ‘नींद से जागने’ को कहा.

अभी तक तैयारी क्यों नहीं?

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक वर्मा की खंडपीठ ने स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारी पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘हम उस कहावती शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार नहीं कर सकते और कोरोना महामारी (Coronavirus) को सामने देखकर रेत में सिर नहीं छुपा सकते.’ अदालत ने पूछा कि महामारी को आए एक साल से ज्यादा समय होने के बावजूद राज्य अभी तक वायरस से लड़ने के लिए तैयार क्यों नहीं है.

तीर्थयात्रा निरस्त क्यों नहीं?

राज्य सरकार को वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपने सभी संसाधनों को झोंकने के निर्देश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, ‘हम एक अदृश्य दुश्मन से विश्वयुद्ध लड़ रहे हैं और हमें अपने सभी संसाधन लगा देने चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपने नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखना राज्य का पहला दायित्व है. सरकार को इसमें अपनी पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए.’ अदालत ने चारधाम यात्रा पर संशय को लेकर भी राज्य सरकार की खिंचाई की और पूछा कि क्या तीर्थयात्रा को कोरोना हॉटबेड बनने की अनुमति दी जाएगी

कोरोना केस में वृद्धि के लिए मेला जिम्मेदार नहीं?

कोर्ट ने कहा कि सरकार कहती है कि यात्रा निरस्त हो गई है लेकिन मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले बोर्ड ने यात्रा के लिए एसओपी जारी कर दी हैं. अदालत ने पूछा, ‘हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि इन एसओपी का पालन किया जाएगा जबकि कुंभ मेला के दौरान उनका उल्लंघन हुआ था.’ अदालत ने यह भी कहा कि अभी राज्य कुंभ मेला के प्रभाव से लड़खड़ा रहा है लेकिन पूर्णागिरी मेले का आयोजन कर फिर दस हजार लोगों की भीड़ को आमंत्रित कर लिया गया. अदालत ने सवाल उठाया कि क्या कुमांउ क्षेत्र में कोरोना वायरस (Coronavirus) मामलों में हुई वृद्धि इस मेले के आयोजन का परिणाम है.

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सरकार की तैयारी नाकाफी

स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी द्वारा पिछले कुछ माह में आक्सीजन और आइसीयू बेड्स जैसी सुविधाओं को मजबूत करने के बारे में पेश की गई विस्तृत रिपोर्ट पर अदालत ने कहा कि तीसरी लहर तो छोडिए, यह दूसरी लहर से लड़ने के लिए भी पर्याप्त नहीं है. स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में राज्य सरकार के आंकड़ों पर असंतोष व्यक्त करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि दूसरी लहर की पीक अभी आने वाली है और ये तैयारियां पर्याप्त नहीं है.

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