नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) फैलाने में योगदान देने के आरोपों पर चुनाव आयोग (Election Commission) परेशान है. अपने खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट की मौखिक टिप्पणियों को हटवाने के लिए आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन वहां पर नाकाम रहा.
‘चाहे तो मुझे सजा दे दें, लेकिन आयोग को संदेह से मुक्ति दिलाएं’
अब चुनाव आयोग के एक आयुक्त राजीव कुमार (Rajiv Kumar) का तैयार किया हुआ एफिडेविट चर्चा में है. इस एफिडेविट में राजीव कुमार ने इस्तीफा देने और सजा भुगतने के लिये तैयार रहने की पेशकश की थी. कुमार ने कहा, ‘लोकतंत्र की रक्षा के लिए संस्था पर उठाई गई शंकाओं से मुक्ति दिलाने की जरूरत है. कहीं ऐसा न हो कि उस पर बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर और अपमानजनक शब्दों में आरोप लगाने का चलन शुरू हो जाए.’
बताया जा रहा है कि एफिडेविट में आयुक्त राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने कहा था कि कोविड-19 (Coronavirus) की रोकथाम के लिए पश्चिम बंगाल चुनाव (Assembly Election 2021) के चरणों को मिलाना जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत संभव नहीं था. कुमार ने निजी रूप से इसकी सजा भुगतने की इच्छा जताई और आयोग (Election Commission) पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने की अपील की.
‘व्यक्तिगत जिम्मेदारियों ने नहीं भागना चाहते’
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयुक्त होने के नाते वह व्यक्तिगत जिम्मेदारियों से नहीं भागना चाहते और सजा देने की बात अदालत पर छोड़ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक राजीव कुमार ने यह एफिडेविट मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) की टिप्पणियों के जवाब में दायर करने की योजना बनाई थी.
हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि देश में कोविड-19 मामलों में तेज वृद्धि के लिए निर्वाचन आयोग अकेले जिम्मेदार है. ऐसे में उसके जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में मामला दर्ज किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी आयोग की अर्जी
निर्वाचन आयोग (Election Commission) इस टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. हालांकि वहां से उसे राहत नहीं मिल पाई और सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर कि ‘उच्च न्यायालय की मौखिक टिप्पणियां आधिकारिक न्यायिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं’ हैं, उन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसी बीच वकील की सलाह पर राजीव कुमार ने तकनीकी कारणों से वह ‘अतिरिक्त हलफनामा’ सुप्रीम कोर्ट में जमा नहीं कराया.
अब मामला खत्म हुआ- मुख्य चुनाव आयुक्त
इसी बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा, ‘कोरोना वायरस (Coronavirus) से उत्पन्न मौजूदा हालात में हम सभी को कोविड-19 से प्रभावित लोगों की भलाई के लिये काम करना चाहिए. इस मुद्दे को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निपटा दिया है और आयोग की चिंताएं भी प्रकट की जा चुकी हैं. यह माना जा चुका है कि मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) की टिप्पणियां पूरी तरह से अनुचित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का निपटारा कर दिया है.’
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बताते चलें कि चुनाव संपन्न नहीं होने और विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाने की सूरत में किसी राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है.
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