नई दिल्ली: आज बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2021) है. बौद्ध धर्म के साथ साथ हिंदू धर्म में भी इसका बहुत बड़ा महत्व है. मान्यता है कि आज ही के दिन राजकुमार सिद्धार्थ.. निर्वाण को प्राप्त करके महात्मा बुद्ध कहलाए थे. महात्मा बुद्ध के विचार हर समयकाल में लोगों की परेशानियों के हल को परिभाषित करते हैं. आज जिस दौर में हम हैं, उसमें इंसानों के बीच दूरियां बढ़ी हैं, कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने लोगों को कम में संतुष्ट रहने की सीख दी है. विलासिता से ज्यादा मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के महत्व को समझाया है.  

संतोष सबसे बड़ा धन 
सोचिए अगर 483 ईसा पूर्व समय काल में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) फैला होता तो उस वक्त महात्मा बुद्ध पूरे समाज को क्या संदेश दे रहे होते. 
उनका एक विचार था कि संतोष सबसे बड़ा धन है, मानवता सबसे बड़ा संबंध और स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है. यानी इन तीन विचारों के जरिए महात्मा बुद्ध (Gautama Buddha) ने हर मुश्किल में सुखी जीवन बिताने का सार बताया था. महामारी के इस दौर में जो अपने पास है, उसी में संतोष करना, वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है. 

स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार 
ये वो दौर है जब इंसान दूसरे इंसान से दूरी बनाकर चल रहा है. बीमारों की सहायता करने से डरता है, यहां तक कि मृत्यु कर्म के दुख में भी शामिल नहीं होना चाहता है लेकिन महात्मा बुद्ध (Gautama Buddha) के विचारों के मुताबिक इस मुश्किल में मानवता का धर्म निभाना सबसे अहम है. इंसान का इंसान से जो संबंध है वो बने रहना सबसे जरूरी है. जरूरी ये नहीं कि किसी से मिला जाए, जरूरी ये है कि उसको अकेला ना छोड़ा जाए. महात्मा बुद्ध ने स्वास्थ्य को सबसे बड़ा उपहार बताया था…यकीनन महामारी के समय में स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. इसका अहसास अब सभी लोगों को है. 

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कोरोना के खिलाफ महात्मा बुद्ध की वैक्सीन!
जीवन और मृत्यु के बीच जो समय एक इंसान बिताता है, उसकी अहमियत आज लोगों की समझ में आ रही है. पिछले साल देश में कोरोना संक्रमण के मामले मिलने शुरू हुए थे. तब से लेकर अब तक लगभग डेढ़ साल बीत चुके हैं, लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं है. संक्रमण का डर तब भी था अब भी है. लोगों से दूरी बनाकर रखना तब भी जरूरी था अब भी जरूरी है. संयम तब भी बरतना था अब भी बरतना है लेकिन इन डेढ़ वर्षों में संक्रमण के डर ने मन की शांति और जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिए को कमजोर किया है. ऐस में महात्मा बुद्ध के 5 महान विचार याद करने चाहिए जो कोरोना संक्रमण के इस मुश्किल वक्त से लड़ने के तरीके बताएंगे. आप इन पांच विचारों को कोरोना के खिलाफ महात्मा बुद्ध की वैक्सीन भी कह सकते हैं.

1. जंगली जानवर की अपेक्षा दुष्ट मित्र से डरें- इसको आप इस तरह से समझ सकते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में घर पर रहना जरूरी है लेकिन अगर आप किसी मित्र के कहने पर घर से बाहर निकल रहे हैं, या किसी Secret पार्टी या समारोह में चोरी छिपे जाने की सोच रहे हैं तो ये आपके लिए ज्यादा खतरनाक है. ऐसे मित्र आपके लिए शत्रु की तरह साबित हो सकते हैं. इनसे आपको बचकर रहना है.

2. घृणा को प्रेम से जीतें- जिन लोगों में कोरोना संक्रमण को लेकर जागरुकता नहीं है, जो मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत को नकार देते हैं. ऐसे लोगों से घृणा नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें प्रेम से इस खतरे के विषय में समझाना चाहिए. क्योंकि आपके साथ-साथ उनका जीवन भी कीमती है.

3. केवल वर्तमान पर ध्यान दें- महात्मा बुद्ध के विचार थे कि सुखी जीवन के लिए भूतकाल में हुई घटनाओं के लिए दुख नहीं मनाना चाहिए, ना ही भविष्य के सपने से घिरा रहना चाहिए, बल्कि वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए. यानी महामारी के इस दौर में भूतकाल में जो हुआ उसका दुख नहीं करना है, ना ही संक्रमण खत्म हो जाने के सपनों में घिरे रहना है, बल्कि वर्तमान में संक्रमण से चल रही जंग में हिस्सा लेना है. इस समय में खुद को बचाकर रखना है.

4. भौतिक प्रेम में नहीं उलझना है- विलासिता भरे जीवन से प्रेम ना करना ही इस वक्त सबसे जरूरी है. संक्रमण काल में बाहर घूमना-फिरना, समारोहों, पार्टियों में शामिल होना इस समय सबसे ज्यादा खतरनाक है. ये वो भौतिक प्रेम है जिसमें उलझकर आप अपने और अपने परिवार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं, इसलिए इसमें नहीं उलझना है.

5. शरीर और मन को स्वस्थ रखें- इस दौर में सबसे जरूरी है खुद को स्वस्थ रखना. स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है. कोरोना संक्रमण ने ना सिर्फ स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है बल्कि ये लोगों को मन पर भी बुरा असर डाल रहा है. ऐसे में इस पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा. यकीनन महात्मा बुद्ध के ये विचार कोरोना संक्रमण काल में आपकी सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं. ये ना सिर्फ आपको शारीरिक रूप से मजबूत बने रहने की प्रेरणा देते हैं, बल्कि ये आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की सीख भी देते हैं.

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