नई दिल्ली: इस समय हमारा देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी और खतरनाक लहर का सामना कर रहा है. वैज्ञानिकों ने कह दिया है कि अब तीसरी लहर भी आनी निश्चित है. यानी महामारी के इस समुद्र में वायरस की एक के बाद एक कई शक्तिशाली लहरें आ रही हैं, और जिस जहाज में हम सवार हैं वो इन लहरों से डगमगा रहा है. ये तमाम परिस्थितियां आज हमें मशहूर टाइटैनिक (Titanic) जहाज की याद दिलाती हैं.

टाइटैनिक एक समुद्री जहाज था, जो 10 अप्रैल वर्ष 1912 को अपनी पहली यात्रा पर इंग्लैंड (England) से अमेरिका के न्यू-यॉर्क (NewYork) के लिए रवाना हुआ था. इस जहाज में कुल 2,223 लोग सवार थे, लेकिन दुर्भाग्यवश अपनी यात्रा के चौथे दिन ही ये जहाज समुद्र में बर्फ की बड़ी चट्टानों से टकरा गया और इसके बाद कुछ ही घंटों में समुद्र पूरे जहाज को निगल गया.

टाइटैनिक और भारत के हालात एक समान

आज हम आपको ये सब इसलिए बता रहे हैं क्योंकि टाइटैनिक जहाज में और भारत के मौजूदा हालात में काफी समानता है. उस समय जब बर्फ की चट्टानों से जहाज को बचाने के लिए उसे मोड़ा गया तो उसका एक बड़ा हिस्सा चट्टानों से टकरा गया था और बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े जहाज में आ कर गिर गए थे. उस समय जहाज में सवार कुछ लोग खतरे को नजरअन्दाज करते हुए बर्फ के उन टुकड़ों से खेल रहे थे. जबकि जहाज का कप्तान अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए लोगों को खतरे से सावधान कर रहा था. लेकिन इसके बावजूद ये लोग खतरे को समझ नहीं सके, और खेलते-खेलते ही समुद्र में जहाज के साथ समा गए.

109 साल बाद भी नहीं बदली लोगों की फितरत

यहां हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि टाइटैनिक को डूबे हए 109 वर्ष हो गए हैं, लेकिन लोगों की फितरत आज भी नहीं बदली है. भारत के संदर्भ में देखें तो आज हमारे देश में लोग टाइटैनिक जैसे जहाज पर ही सवार दिखते हैं, जो कोरोना वायरस की बड़ी चट्टानों से टकरा चुका है. लेकिन कुछ लोग अब भी खतरे को नजरअन्दाज कर रहे हैं, जैसे टाइटैनिक की दुर्घटना में बर्फ के टुकड़ों से खेलने वाले लोगों ने किया था. आज बहुत से लोग ये पूछ रहे हैं कि कोरोना वायरस की ये तीसरी लहर कब आएगी? तो आज हम आपको इसके बारे में भी बताएंगे. लेकिन सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट में इस पर क्या कुछ हुआ.

कोरोना की तीसरी लहर का कैसे करेंगे सामना?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी (Delhi Oxygen Crisis) और देश के मौजूदा हालात को लेकर सुनवाई चल रही थी, तो जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिंता जताई. उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर तीसरी लहर में बच्चे संक्रमित हुए तो सरकार क्या करेगी? क्या सरकार के पास इससे निपटने के लिए कोई इमरजेंसी प्लान है? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जो बड़ी बात कही, वो ये कि बच्चे खुद अस्पताल नहीं जा सकते. ऐसे में अगर तीसरी लहर में वायरस ने बच्चों पर प्रहार किया तो सरकार स्थिति को कैसे संभालेगी? और बच्चों की जान कैसे बचाई जाएगी? 

बच्चों की वैक्सीन आने में अभी लगेगा काफी समय

आपको याद होगा कल DNA में हमने इस खतरे से आपको सावधान भी किया था. क्योंकि हम जानते हैं कि अगर इस संक्रमण ने बच्चों की जान ली तो ये कोई नहीं देख पाएगा. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (Central Government) से बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर जवाब मांगा है. जैसा कि हमने आपको कल बताया था कि मौजूदा परिस्थितियों में बच्चों के लिए जल्द कोई वैक्सीन आने की उम्मीद अभी कम है. अभी ज्यादातर वैक्सीन अंतिम चरण में हैं, और जो एक वैक्सीन अमेरिकी कंपनी  फाइजर ने बनाई है, उसकी भारत में एंट्री अभी मुश्किल है.

‘कोरोना संकट’ में ‘समय’ ही सबसे ज्यादा कीमती

क्योंकि भारत में अभी फाइजर की उसी वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है, जो 18 साल से ऊपरे के लोगों के लिए है. इसलिए मोटे तौर पर अब हमें ये सोचना है कि तीसरी लहर कब आएगी? क्योंकि अगर इसके आने में अभी समय है तो संभव है वैज्ञानिकों को बच्चों की वैक्सीन के लिए समय मिल जाए. यानी संकट की इस घड़ी में भी समय ही सबसे कीमती है. 

अगले महीने आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर!

वैज्ञानिकों की मानें तो अभी इस तरह का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता. लेकिन यहां हम दूसरे देशों की स्थिति का आंकलन करके तीसरी लहर के लिए तैयार जरूर हो सकते हैं. जैसे अमेरिका में कोरोना वायरस की दूसरी और तीसरी लहर में सिर्फ ढाई महीने का अंतर था. बड़ी बात ये है कि वहां दूसरी लहर से ज्यादा मौतें तीसरी लहर में हुई थीं. ये तीसरी लहर लगभग डेढ़ महीने तक रही थी. यानी अगर भारत में वायरस ने अमेरिका जैसा ही व्यवहार किया तो मुमकिन है अगले ढाई महीने में भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ जाए. ये भी संभव है कि दूसरी और तीसरी में ज्यादा दिनों का अंतर नहीं हो.

कोरोना वायरस की दो लहरों में सिर्फ 6 महीने का अंतर

अमेरिका में कोरोना वायरस की दूसरी लहर 45 दिनों में ही समाप्त हो गई थी, और वहां मामले कम होने लगे थे. जबकि भारत में इस महामारी की दूसरी लहर को 60 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक इस लहर का पीक अब तक नहीं आया है. अब यहां दो बातें समझने वाली हैं. पहली बात ये कि संभव है जब दूसरी लहर का पीक आएगा तो उस पीक के साथ तीसरी लहर शुरू हो सकती है, और दूसरी बात ये कि दूसरी लहर के जाने के बाद तीसरी लहर आ सकती है. क्योंकि भारत में अब तक आई दो लहरों के दौरान ऐसा ही देखा गया है. भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में लगभग 6 महीनों का अंतर था.

तीसरी लहर, दूसरी लहर से कैसे अलग हो सकती है?

इसे समझने के लिए पहले आपको ये जानना होगा कि वायरस इंसानों की तरह नहीं होता. वायरस अपना व्यवहार बदलता रहता है. जबकि अधिकतर इंसान अपनी पूरी जिंदगी के बाद भी अपना व्यवहार नहीं बदल पाते. वायरस हर लहर में अलग व्यवहार और बर्ताव करता है. जैसे पहली लहर में ये हमारी इम्यूनिटी से लड़ रहा था. लोग आसानी से ठीक हो रहे थे. दूसरी लहर में अभी ये इम्यूनिटी को भी आसानी से हरा पा रहा है, और तीसरी लहर में इसका ये व्यवहार भी बदल जाएगा. एक स्टडी ये कहती है कि तीसरी लहर में बहुत सारे वैरिएंट होंगे और हर वैरिएंट इंसानों पर अलग तरह से हमला करेगा. सरल शब्दों में कहें तो ऐसा अनुमान है कि तीसरी लहर में मरीजों को अलग अलग लक्षण होंगे और वायरस और खतरनाक हो जाएगा. हालांकि ये सभी आंकलन हैं. ऐसा होगा ही, ये जरूरी नहीं है. लेकिन जो जरूरी बात है, वो ये कि अभी आपको मास्क लगा कर रखना है.

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