कोलकाता: पश्चिम बंगाल में राजनीति और हिंसा के खेला के बाद अब एक और नया खेला शुरू हो गया है और ये खेला है दो शक्तियों के बीच टकराव का. इसलिए आज हम सबसे पहले पश्चिम बंगाल के इसी नए खेला का विश्लेषण करेंगे. आज कोलकाता में CBI दफ्तर के बाहर इकट्ठा हुए TMC के कार्यकर्ताओं ने पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों पर जबरदस्त पथराव किया. TMC के ये कार्यकर्ता ममता सरकार में कैबिनेट मंत्री फिरहाद हाकिम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी और TMC के विधायक मदन मित्रा की गिरफ्तारी से नाराज थे. 

बंगाल में नया खेला शुरू
CBI ने तीन TMC नेताओं के अलावा ममता सरकार में मंत्री रहे सोवन चटर्जी को भी आज नारदा स्टिंग टेप घोटाले में गिरफ्तार किया, जिसके बाद इस पर नया खेला शुरू हो गया. गिरफ्तारी के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी CBI दफ्तर पहुंच गईं और इसी के कुछ देर बाद TMC कार्यकर्ताओं ने भी CBI दफ्तर की बिल्डिंग को घेर लिया और वहां हंगामा शुरू हो गया. ममता बनर्जी करीब साढ़े पांच घंटे तक CBI दफ्तर में बैठी रहीं और इस दौरान उनके समर्थक CBI दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करते रहे. 

TMC कार्यकर्ताओं की बदसलूकी
जिस समय ममता बनर्जी CBI दफ्तर के अंदर थीं, उस दौरान कुछ कार्यकर्ता पुलिस और सुरक्षाबल पर पत्थरबाजी करते नजर आए. इन लोगों ने वहां मौजूद सुरक्षाबलों के जवानों के साथ बदसलूकी भी की, जिसके बाद पुलिस ने भी TMC के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया और इस पूरे हंगामे ने एक बार फिर बंगाल में नारदा स्टिंग टेप घोटाले को खबरों में ला दिया है. आज हम आपको इस पूरे घोटाले के बारे में भी बताएंगे.

CBI दफ्तर में ममता का धरना क्यों?
ये मामला कितना बड़ा है, इसे आप इसी बात से समझ सकते हैं कि दो मंत्रियों और एक विधायक को छुड़ाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद साढ़े 5 घंटे तक CBI दफ्तर में बैठी रहीं. सबसे पहले वो CBI के DIG अखिलेश सिंह से मिलीं और फिर दफ्तर के अंदर एक कमरे में जाकर बैठ गईं. एक तरह से ममता बनर्जी ने CBI दफ्तर के अंदर ही धरना देना शुरू कर दिया. इस दौरान ममता बनर्जी ने अपने कई मंत्रियों और अधिकारियों से भी मुलाकात की.

धनखड़ और ममता के बीच टकराव
महत्वपूर्ण बात ये है कि ममता बनर्जी ने एक घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किए गए अपने मंत्रियों और विधायक की रिहाई के लिए धरना दिया और उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि इस पूरे मामले की जांच के आदेश पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने दिए थे. यानी ये नया खेला जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच शक्तियों के टकराव का है. ममता बनर्जी का कहना है कि CBI इस तरह से किसी कैबिनेट मंत्री और विधायक को गिरफ्तार नहीं कर सकती, जबकि CBI का कहना है कि उसे जांच के निर्देश सीधे राज्यपाल से मिले हैं, जिसके बाद वो कार्रवाई कर रही है. 

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क्या सीबीआई की कार्रवाई गलत है?
अब आपको ये बताते हैं कि क्या ये पूरी कार्रवाई अंसवैधानिक है, जैसा ममता बनर्जी कह रही हैं या ये कार्रवाई नियमों के तहत हुई है? पश्चिम बंगाल के विधान सभा स्पीकर का कहना है कि नियम ये है कि अगर विधान सभा के किसी सदस्य को कोई जांच एजेंसी गिरफ्तार करना चाहती है तो इसके लिए स्पीकर की अनुमति लेना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर ये कानून के खिलाफ माना जाता है. कानून ये भी कहता है कि अगर किसी मंत्री के खिलाफ कोई ऐक्शन लेना है या उसे गिरफ्तार करना है तो इसकी अनुमति मंत्रिमंडल द्वारा दी जाती है. यानी सरकार तय करती है कि उस मंत्री के खिलाफ जांच होगी या नहीं. उससे पहले कोई जांच एजेंसी कोई कदम नहीं उठा सकती है. ममता बनर्जी इन्हीं दोनों बातों को अपना आधार बना कर आरोपी मंत्रियों को बचाव कर रही हैं. 

2004 का सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
इन दलीलों से आपको भी ये लग सकता है कि CBI की कार्रवाई असंवैधानिक है, जबकि ऐसा नहीं है. कैसे.. अब आप वो समझिए. वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि अगर कोई सरकार अपने मंत्री के खिलाफ जांच एजेंसियों को कार्रवाई करने से रोकती है तो ऐसी स्थिति में कार्रवाई का फैसला राज्य के Governor के विवेक पर निर्भर होगा. यानी राज्यपाल ऐसी स्थिति में निर्णय ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तब इस फैसले में ये बात कही थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो सत्ता में बैठे लोग बिना परवाह किए कानून को तोड़ेंगे और किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी ही नहीं. ये स्थितियां कानून और लोकतंत्र दोनों के खिलाफ हैं.

राज्यपाल को कार्रवाई की अनुमति देने का अधिकार
सरल शब्दों में कहें तो राज्यपाल का ये फैसला और CBI की कार्रवाई संवैधानिक है. इसे आप पश्चिम बंगाल के राज्यपाल द्वारा जारी किए गए एक बयान से भी समझ सकते हैं. ये बयान उन्होंने 9 मई को दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 में जब नारदा स्टिंग टेप घोटाला हुआ था, तब गिरफ्तार किए गए ये चारों नेता ममता सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे और इस हिसाब से राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के तहत कार्रवाई की अनुमति देने की पूरी स्वतंत्रता है. 

शक्तियों के टकराव का खेला 
राज्यपाल ने जिस दिन ये बयान जारी किया था, उसी दिन CBI को भी जांच की अनुमति मिली थी. बड़ी बात ये है कि राजभवन ने ये जानकारी दी है कि कार्रवाई की ये अनुमति CBI द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर दी गई है. यानी इस हिसाब से देखें तो CBI की कार्रवाई अंसवैधानिक नहीं है और इसीलिए हम इसे शक्तियों के टकराव का खेला कह रहे हैं. ममता बनर्जी के मंत्रियों पर CBI की ये कार्रवाई उनकी शक्तियों के लिए एक चुनौती थी और यही वजह है वो खुद CBI दफ्तर पहुंच गईं और अंदर जाकर बैठ गईं. 

Zee Media की गाड़ी पर हमला
इस दौरान TMC कार्यकर्ताओं ने वही किया, जिसके लिए वो जाने जाते हैं. TMC कार्यकर्ताओं ने आज Zee Media की गाड़ी पर भी हमला किया और भीड़ ने CBI दफ्तर के बाहर हमारी गाड़ी को घेर लिया और उस पर हमला कर दिया. इस खेला के पीछे का क्या खेला है, वो भी अब आपको बताते हैं कि आखिर ये नारदा स्टिंग टेप मामला है क्या?

नारदा स्टिंग टेप मामला है क्या?
वर्ष 2014 में बंगाल के एक पत्रकार ने TMC के कुल 12 नेताओं का Sting Operation किया था. इनमें उस समय के 7 सांसद, ममता बनर्जी सरकार के 4 मंत्री और TMC का एक विधायक शामिल था. आरोप है कि ये सभी नेता Sting Operation में 5-5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए और इन 12 आरोपियों में सुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का नाम भी शामिल है, जो पहले TMC में थे लेकिन अब बीजेपी में आ गए हैं.

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सुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय पर कार्रवाई क्यों नहीं?
अब TMC का आरोप ये है कि जब CBI इस पूरे मामले की जांच कर रही है तो फिर कार्रवाई सिर्फ TMC के मंत्रियों और विधायकों पर क्यों हुई? तो इसका जवाब ये है कि सुवेंदु अधिकारी, सौगत रॉय, काकोली घोष और प्रसून बनर्जी के खिलाफ CBI ने कार्रवाई की अनमुति मांगी हुई है लेकिन लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने अब तक इस पर अपनी सहमति नहीं दी है, जिसकी वजह से कार्रवाई रुकी हुई है. ये सभी 2014 में TMC के सांसद थे और CBI को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोक सभा स्पीकर की अनुमति जरूरी है. 

चारों नेताओं को किस आधार पर मिली जमानत?
इस खबर का Latest Update ये है कि नारदा स्टिंग केस में गिरफ्तार हुए TMC के चारों नेताओं को अंतरिम जमानत मिल गई है और भारत के इतिहास में ऐसा कम ही देखने को मिलता है. हालांकि इन नेताओं को जिस आधार पर जमानत मिली है, वो भी काफी दिलचस्प है. CBI की विशेष अदालत ने आज इन नेताओं को जमानत देते हुए कहा कि जेल में इस समय कैदियों की संख्या काफी ज्यादा है और इससे इन नेताओं को कोरोना हो सकता है. इसलिए इन्हें जमानत दी जा रही है.

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