Gaya: कोरोना के दौरान लोगों का इलाज निजी अस्पतालों के लिए पैसे कमाने का जरिया बन गया है. कुछ ऐसा ही मामला गया जिले के फतेहपुर थाना में आया है. यहां एक निजी नर्सिंग होम संचालक ने इंसानियत को ताक पर रख कर मरीज को बाहर निकाल दिया है .
दरअसल, फतेहपुर प्रखंड के मतासो गांव निवासी सुरेन मांझी को सांस लेने में परेशानी की शिकायत को लेकर 7 अप्रैल को भर्ती कराया गया था. उसी वक्त नर्सिंग होम के संचालको ने 90हजार रुपये की मांग की थी, जिसमे मरीज के परिजनों के द्वारा 70 हजार रुपये को जमा करा दिया गया था. जिसके बाद वो बाकि के पैसे का इंतज़ाम करने के लिए चले गए. जिसके बाद अस्पताल वालों ने मरीज को सड़क पर ही छोड़ दिया.
मरीज के परिजन जब वापस लौटे तो उन्होंने जब मरीज को सड़क पर देखा तो आग बबूला हो गए. जिसके बाद गुस्साए परिजन और नर्सिंग होम संचालको के बीच मारपीट तक हो गई. मारपीट की सूचना पर फतेहपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची. तब तक मरीज के परिजनों ने इसकी सूचना जिले के कई अधिकारियों को दे चुका था.
फतेहपुर प्रखंड के सीओ विजय कुमार और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ,थाना प्रभारी संजय कुमार की मौजूदगी में नर्सिंग होम को सील कर दिया गया. इस मामले में नर्सिंग होम संचालक और मरीज के परिजनों के द्वारा दोनों ओर से फतेहपुर थाना में आवेदन दिया गया है. आनन फानन में मरीज को फतेहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है.
इस मामले में फतेहपुर थाना प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि नर्सिंग होम संचालक के द्वारा मरीज के परिजनों के साथ मारपीट की घटना हुई है. मरीज के परिजनों से ऑक्सीजन सिलेंडर देने के लिए 20हजार रुपये की मांग की गई थी. जिसमे देरी के कारण ये घटना हुई थी. जिसे देने में देरी के कारण यह घटना हुई है.
ये भी पढ़ें: बिहार में HRCT Scan के मनमाने चार्ज पर लगेगी लगाम, सरकार ने जारी किए रेट
उन्होंने आगे बताया कि नर्सिंग होम के डॉक्टर के पास न कोई डिग्री नही है और न ही नर्सिंग होम चलाने का लाइसेंस है. इस मामले में नर्सिंग होम संचालक को हिरासत में ले लिया गया है. आगे की कार्रवाई की जा रही है.
(इनपुट-जय प्रकाश कुमार)