Jaipur: सरकार लाख दावा कर रही है कि गांवों में कोरोना (Corona) की रोकथाम के लिये हम पूरी तरह से जुटे हैं लेकिन सांभरलेक उपखण्ड (Sambharlake subdivision) के गावों की तस्वीर अब डराती है.
यह भी पढ़ें– Corona की दूसर लहर में किस उम्र के लोग हुए सबसे ज्यादा प्रभावित! पढ़ें पूरी Report
शहरों में संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद कोरोना महामारी (Corona epidemic) अब गांवों को अपनी चपेट में ले रही है. गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल क्या है, इसके लिये ज़ी मीडिया ने पड़ताल की, जहां कई ग्राम पंचायतों में जागरूकता और प्रशासन की सतर्कता से हालात अच्छे नजर आए लेकिन वहीं, कई ग्राम पंचायतों में बेहद निराशाजनक तस्वीरें सामने आयी. यहां मरीजों की बेहतर सुविधा के लिए बनाए गए उप स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटके नजर आए.
यह भी पढ़ें– Corona Update: राजस्थान में 4,414 नए संक्रमित मामले, 103 लोगों ने गंवाई जान
टीम सुबह 10 बजे काचरोदा ग्राम पंचायत पहुंची, जहां उपस्वास्थ्य केंद्र खुला मिला. वहीं, रोजड़ी ग्राम पंचायत पहुची, जहां उपस्वास्थ्य केंद्र पर ANM और गांव के सरपंच चर्चा करते नजर आए. फिर हिरनोदा ग्राम पंचायत के उपस्वास्थ्य केंद्र पहुचे जहा ताला लटका नजर आया. उसके बाद ग्राम पंचायत ढींढा के उपस्वास्थ्य केंद्र पहुचे जहां पर भी ताला लटका मिला और अंदर गन्दगी का अंबार दवाइयां और सीरीज पड़े दिखाई दिए.
क्या कहना है ग्रामीणों का
ग्रामीणों से बात करने पर पता चला यहां ANM तो लम्बे समय आती ही नहीं. लोगों को कोरोना महामारी में भटकना पड़ रहा है. इसके बाद ज़ी मीडिया की टीम गुढ़ा बेरसल, ढाणी बोराज ग्राम पंचायत पहुंची, जहां पर भी ताले लटके मिले. वहीं, आसलपुर ग्राम पंचायत पहुंचे तो वहां ANM काम करती मिली.
आधा दर्जन उप स्वास्थ्य केंद्रों का बुरा हाल
ज़ी मीडिया ने आधा दर्जन उप स्वास्थ्य केंद्रों को चेक किया. जहां 5 से 10 हजार आबादी वाली इन ग्राम पंचायतों में बने उप स्वास्थ्य केंद्रों पर इस कोरोना महामारी में भी ‘ताले लटके रहना’ बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार मौतें हो रही हैं और कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार ने डोर टू डोर सर्वे करने के साथ साथ संक्रमण के लक्षण पाए जाने वाले लोगों को घर-घर दवाइयों के कीट वितरण करने के निर्देश दिए हैं. बावजूद चिकित्सा विभाग की लापरवाही आमजन पर भारी पड़ रही है.
Reporter- Amit Yadav