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Jaipur: प्रधानमंत्री के राजस्थान और गुजरात के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बांसनाड़ा के मानगढ़ धाम के संदर्भ में बैठक करने के बाद अब मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग तेज हो गयी है. दो दिन पहले पीएम को पत्र लिखने के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट भी आया है. जिसमें गहलोत ने लिखा है कि एक नवंबर को प्रधानमंत्री बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम के दौरे पर आ रहे हैं, पीएम से फिर से निवेदन करना चाहूंगा कि ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए.
मानगढ़ धाम का भारत की आजादी की लड़ाई में ऐतिहासिक महत्व है. गोविंद गुरू के नेतृत्व में आदिवासी भाई-बहनों का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान है, अस दौरान अनेकों आदिवासियों ने बलिदान दिया है. उन्होंने लगातार प्रधानमंत्री से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग की है. प्रधानमंत्री ने राजस्थान एवं गुजरात के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मानगढ़ धाम के संदर्भ में बैठक ली, जिसमें राज्य सरकार को केन्द्र सरकार ने आश्वस्त किया है कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने में हरसंभव सहयोग दिया जाएगा.
दो दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत PM को मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर पत्र भी लिख चुके है. गहलोत ने अपने स्मरण पत्र में प्रधानमंत्री को दो बार पत्र लिखकर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की मांग की है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को अवगत करवाया कि वर्ष 1913 में मानगढ़ में गोविन्द गुरू के नेतृत्व में एकत्रित वनवासियों पर ब्रिटिश सेना ने फायरिंग की इस फायरिंग में 1500 से अधिक वनवासियों ने अपना बलिदान दिया था. वनवासियों के बलिदान और गोविन्द गुरु के योगदान को रेखांकित करने के लिए राज्य सरकार ने मानगढ़ धाम में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाया है.गहलोत ने लिखा कि जनजाति आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा, डूंगरपुर जिलों के जनप्रतिनिधियों के मानगढ़ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किये जाने की मांग की जा रही है.
पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत परिभाषित
पूर्व में 08 अगस्त, 2022 को भी इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री की ओर से केन्द्र को पत्र लिखा गया था. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय प्राचीन स्मारकों को प्राचीन संस्मारक और पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत परिभाषित किया गया है. अधिनियम के तहत ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक और वास्तुकला संबंधी महत्व को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की घोषणा की जाती है. इस दृष्टि से देखा जाए तो आजादी की अलख जगाने के लिए 1500 आदिवासी भाइयों के सर्वोच्च बलिदान के कारण यह स्थल ऐतिहासिक महत्व का हो जाती है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण इस सम्बन्ध में उचित कार्रवाई कर मानगढ़ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कर सकती है.
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