Jhunjhunu: बिना अनुमति के फर्जी फूड सेफ्टी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में चिकित्सा विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी को APO कर दिया गया. इस मामले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी की भूमिका संदेह के घेरे में होने के चलते ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था. लेकिन दो बार नोटिस दिए जाने के बावजूद उन्होंने उसका जवाब नहीं दिया. जिसके बाद सीएमएचओ ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए खाद्य सुरक्षा अधिकारी को एपीओ कर दिया.
जानकारी के अनुसार, 26 मार्च को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने फर्जी फूड सेफ्टी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट जारी करने व लाइसेंस के नाम पर 700-700 रुपए लेने के मामले को लेकर मंडावा मोड़ स्थित एक टावर पर छापा मार दो युवकों को पकड़ा था. उसके बाद कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया गया. इस मामले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी महेश कुमार की भूमिका संदेहास्पद थी, जिसके बाद सीएमएचओ डॉ. छोटे लाल गुर्जर ने 7 अप्रैल को खाद्य सुरक्षा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
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वहीं, जवाब नहीं देने पर दो बार 19 व 22 अप्रैल को दोबारा नोटिस दिया गया. लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने उसका भी जवाब नहीं दिया. CMHO ने उसे एपीओ कर दिया. इस दौरान सीएमएचओ के सामने दो फोटो भी आई, जिसमें जिन लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट के नाम पर वसूली करते हुए पकड़ा गया था. वो लोग FSO के साथ थे.
सीएमएचओ के सामने एक ऐसा कागज भी आया, जिसमें फ़ूड सेफ्टी सर्टिफिकेट लेने के लिए एक जानकारी खुद एफएसओ के हस्तक्षर से जारी हुआ है, जिसके बाद यह तय है कि इस अवैध वसूली वालों के साथ एफएसओ की मिलीभगत थी, साथ ही कोरोना काल फायदा लेते हुए इस सर्टिफिकेट में यह भी अंकित था कि कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए किस तरह फ़ूड सेफ्टी मापदंडो पर व्यापार किया जा सकता है, पर यह सर्टिफिकेट मात्र एक वसूली का काम था. लेकिन कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी.
(इनपुट-संदीप केड़िया)