Row over Siddaramaiah temple trip: कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को लेकर भाजपा और कांग्रेस में सियासी जंग छिड़ी हुई है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि सिद्धरमैया कोडागु के मंदिर में जाने से ठीक पहले मांसाहारी भोजन किए थे.पार्टी विधायक बोपैया ने आरोप लगाया कि सिद्धरमैया मदिकेरी में मांसाहारी भोजन करने के बाद कोडलीपेट में पवित्र बसवेश्वर मंदिर गए. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा कृत्य है जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. विवाद ज्यादा बढ़ता देख सिद्धरमैया को खुद सफाई देनी पड़ी है. उन्होंने कहा है कि जिस दिन वे मंदिर गए थे, उस दिन उन्होंने मांस नहीं खाया था.

उस दिन उन्होंने मांस नहीं खाया था..

भाजपा की आलोचनाओं से घिरे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उस दिन उन्होंने मांस नहीं खाया था. इसे ‘गैर मुद्दा’ करार देते हुए पूर्व मुख्मयंत्री सिद्धरमैया ने अपनी पसंद का भोजन करने के अधिकार पर बल दिया. सिद्धरमैया 18 अगस्त को कोडागु की अपनी यात्रा के दौरान कथित रूप से मासांहार करने के बाद कोडिलीपेट में बासवेश्वर मंदिर गये थे जिससे विवाद खड़ा हो गया था.

क्या मांस खाना कोई मुद्दा है?

वरिष्ठ कांग्रेस ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘क्या मांस खाना कोई मुद्दा है? (कोई क्या खाता है) यह एक व्यक्तिगत खाने की आदत है. मैं मांसाहार एवं शाकाहार दोनों करता हूं और यह मेरी आदत है. कुछ लोग मांस नहीं खाते हैं , यह उनकी खाने की आदत है.’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा के पास ‘कोई अन्य काम नहीं है’ इसलिए वह ‘मुख्य मुद्दों’ से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए विवाद खड़ा करने का प्रयत्न कर रही है.

‘अक्की रोटी’ खायी थी..

उन्होंने कहा, ‘मेरे हिसाब से यह बिल्कुल ही कोई मुद्दा नहीं है. कई लोग बिना मांस खाये मंदिर जाते हैं तो कई मांस खाने के बाद मंदिर जाते हैं. कई स्थानों पर मांस देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है. आपको सच बताऊं, मैंने उस दिन मांस नहीं खाया था. दलील के लिए, मेरे पास जो था, मैंने कह दिया. वैसे चिकन कढ़ी थी लेकिन मैंने बस बांस शूट कढ़ी और ‘अक्की रोटी’ खायी थी.’

साहस है तो पोर्क खाने के बाद मस्जिद जाइए?

विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने अपने बचाव में रविवार को कहा था कि वह मांसाहारी हैं और यह उनकी खाद्य आदत है . उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या ईश्वर ने कहा है कि मंदिर जाने से पहले क्या खाना है और क्या नहीं खाना है. मांसाहार करने के बाद मंदिर जाने के कांग्रेस विधायक दल के नेता के कथित कृत्य एवं बाद के उनके बयानों पर सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. वरिष्ठ विधायक बसानगौड़ा पाटिल यतनाल ने उन्हें यहां तक चुनौती दे डाली, ‘सिद्धरमैया, यदि आपमें साहस है तो पोर्क (सुअर का मांस) खाने के बाद मस्जिद जाइए.’

‘मैं बस चिकेन और मटन खाता हूं’

इस चुनौती एवं हमले पर सिद्धरमैया ने कहा, ‘मैं बस चिकेन (मुर्गे का मांस) और मटन (बकरे का मांस) खाता हूं, कोई और मांस (पोर्क या बीफ) नहीं खाता. लेकिन मैं उन लोगों के विरूद्ध नहीं हूं जो यह खाते हैं क्योंकि यह उनकी खाद्य आदत है.’ चुनाव समीप आने पर मंदिरों एवं मठों में ‘जाने का ड्रामा’ करने के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नलीन कुमार कटील के आरोप पर सिद्धरमैया ने कहा कि वह मंदिर जाते हैं और अद्वैतवाद में विश्वास करते हैं क्योंकि सभी ईश्वर एक हैं.

ईश्वर को ढूढ़ने क्यों जाऊं?

उन्होंने कहा, ‘मैं मंदिर जाता हूं, लेकिन इसे अपना एकमात्र पेशा नहीं बनाया है. मैं अपने गांव में मंदिर जाता हूं…. मैं कश्मीर या किसी अन्य स्थान पर ईश्वर को ढूढ़ने क्यों जाऊं? मैं कई बार तिरुपति, महादेश्वर पहाड़ी, चामुंडी पहाड़ी, नानजांगौ मंदिर गया हूं. मैं सभी जगह जाता हूं.’
 
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(एजेंसी इनपुट के साथ)