बैतूल: कहा जाता है कि प्यार के लिए कोई दिन नहीं होता, मगर किसी खास दिन, मौके पर मां के लिए प्यार को व्यक्त करने से रिश्ते मजबूत होते है. मदर्स-डे एक ऐसा ही खास मौका है. हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स-डे मनाया जाता है, और इस दिन हम आपको एक ऐसी मां से मिलवाएंगे जिसने दो मासूमों को जन्म तो नहीं दिया लेकिन वह उन्हें खूब जतन से पाल रही है.
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बता दें कि खुदगर्जी भरी इस दुनिया में जब पारिवारिक रिश्ते बोझ लगने लगते है, तो ऐसे में परायों को अपना बनाने की यह मिसाल पेश की है किन्नर शोभा गुरु ने, जो दो मासूमों का सहारा बन गयी है.
दो बच्चों की मां किन्नर
बैतूल के खंजनपुर इलाके में रहने वाली किन्नर शोभा गुरु साढ़े आठ साल की रानी और डेढ़ साल की पिंकी को बडे लाड़ प्यार से मां का दुलार दे रही है. दोनों मासूमों का कोई सहारा नहीं है. किन्नर शोभा गुरु को जब इन बच्चों के बेसहारा होने की जानकारी मिली तो उन्होंने इन बच्चों को अपना लिया.
स्कूल की शिक्षा भी दिलवा रही
रानी को वे बीते चार साल से पढ़ा लिखा रही है. जिसके लिए उन्होंने उसका दाखिला शहर के एक बड़े स्कूल में करवाया हुआ है. वह पढ़ कर काबिल बन जाये इसका वे पूरा जतन करती है. ऐसे ही डेढ़ साल की पिंकी की साजो संभाल वे एक मां की तरह निभा रही है. बेसहारा बच्चो को सहारा देने का उनका जज्बा इतना मजबूत है कि वे हाल ही में अनाथ हुए दो बच्चों को पालने का इरादा कर रही है.
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बेसहारा का सहारा बन रही शोभा
कोरोना त्रासदी का शिकार हुए एक दंपत्ति के बच्चों को अपनाने के लिए वे तैयार है. लेकिन कोविड संक्रमण के चलते उन्होंने अपने दो मासूमों की वजह से फिलहाल अस्पताल जाने का इरादा रोक दिया है. उनका कहना हैं कि जहां भी बेसहारा बच्चे मिल जाये वे उनका सहारा बनने को तैयार है. शोभा गुरु अपने दो मासूमों के साथ बेहद खुश है. उनकी माने तो इन बच्चों के रूप में उन्हें ऐसे दो खिलौने मिल गए है. जो उनके जीवन मे खुशियां ले आये है. वे मानती है कि उनके न तो मां है और न बाप और न ही कोई नाते रिश्तेदार, ऐसे में वे इन बच्चों को अपना सब कुछ मानकर अपना सब कुछ इन पर न्यौछावर कर देंगी.
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