नई दिल्ली: कोरोना काल में ऑक्सीजन (Oxygen) की किल्लत को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में ऑक्सीजन की जरूरत और डिस्ट्रीब्यूशन और कितने मरीजों को ऑक्सीजन रिकमंड की जा रही है इसका पता लगाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया है.
Supreme Court bench, headed by Justice DY Chandrachud, in its order, constituted a National Task Force (NTF) to assess, recommend the need and distribution of oxygen for the entire country. pic.twitter.com/Bw0VSSHRgE
— ANI (@ANI) May 8, 2021
‘दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत’
दूसरी तरफ दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है, आज दिल्ली में कोविड अस्पतालों को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है. 5 तारीख को दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिला. 6 तारीख को 577 मीट्रिक टन मिला और कल 487 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिला. 487 मीट्रिक टन के साथ अस्पतालों को चलाना मुश्किल है. सिसोदिया ने कहा, इसमें कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. केंद्र सरकार दिल्ली को मिलने वाली 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन में कोई कटौती न करे.
केंद्र को दिया था ये आदेश
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि हर दिन दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करनी होगी. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा कि केंद्र सरकार को यह सप्लाई तब तक जारी रखनी होगी, जब तक कि आदेश की समीक्षा नहीं की जाती है या कोई बदलाव नहीं होता.
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हो सकती है अवमानना की कार्यवाही
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी पर दिल्ली सरकार की दलील पर गौर किया और आगाह किया कि अगर रोज 700 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की आपूर्ति नहीं की गई तो वह संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आदेश पारित करेगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
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