President Election 2022: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने आज शनिवार को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का हैदराबाद में जोरदार स्वागत किया. लेकिन सीएम राव हैदराबाद पहुंचे पीएम मोदी का स्वागत करने नहीं पहुंचे. यहां ये जान लेना जरूरी है कि भाजपा और टीआरएस कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे. पिछले राष्ट्रपति चुनाव में टीआरएस ने रामनाथ कोविंद का समर्थन भी किया था. लेकिन अब दोनों दलों के रास्ते एक-दूसरे से जुदा हैं. आइये आपको बताते हैं भाजपा और टीआरएस के रिश्तों में दरार कैसे पड़ी.

5 साल पहले तक भाजपा और टीआरएस थे अच्छे दोस्त

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तकरीबन पांच साल पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का जोरशोर से समर्थन किया था और उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को भी संसद में अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की पैरवी करते हुए अक्सर देखा जाता था.

पीएम मोदी को रिसीव करने नहीं पहुंचे केसीआर

लेकिन अब उनके और भाजपा के बीच सूरत-ए-हाल इस कदर बदल गया है कि राव ने शनिवार को शहर में विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का भव्य स्वागत किया. जबकि सीएम केसीआर हैदराबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिसीव करने नहीं पहुंचे. पीएम मोदी समेत भाजपा नेता अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर रहे हैं, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री को सत्ता से बाहर करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की योजना है.

टीआरएस ने भाजपा की बैठक को बताया सर्कस

टीआरएस ने इस बैठक को ‘सर्कस’ बताया है जहां देश से राजनीतिक ‘पर्यटक’ एकत्रित होंगे. राव ने विपक्ष के साथ गठबंधन बनाने की कवायद में विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी का दौरा कर भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर जंग छेड़ दी है जबकि भाजपा ने राज्य में उनकी सत्ता खत्म करने की कोशिशों को दोगुना कर दिया है. राव 2014 से तेलंगाना में सत्ता में हैं.

केसीआर की तुलना उद्धव ठाकरे से

दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए हैदराबाद पहुंचे भाजपा के कुछ नेताओं ने राव की तुलना शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से की और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री का महाराष्ट्र के नेता जैसा हश्र होगा. यह बैठक ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी सरकार के सत्ता से बाहर होने और भाजपा तथा शिवसेना के बागी गुट की अगुवाई वाले गठबंधन के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद हो रही है. कभी टीआरएस के भाजपा से मधुर संबंध हुआ करते थे लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2019 में फिर से सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में धीरे-धीरे खटास आने लगी.

भाजपा नेताओं का गंभीर आरोप

भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में पार्टी की संभावित वृद्धि को भांपने के बाद राव ‘‘हताश और क्रुद्ध’’ हैं. तेलंगाना में चार लोकसभा सीटें जीतकर सबको हैरत में डालने के बाद भाजपा ने राज्य में विपक्ष की जगह भरने की कोशिश की. साथ ही, उसने विधानसभा उपचुनाव की दो अहम सीटों पर जीत दर्ज की और हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया. भाजपा नेताओं ने कहा कि पार्टी के उत्कर्ष ने टीआरएस को चिंता में डाल दिया है.

भाजपा के निशाने पर टीआरएस

भाजपा का बैठक के लिए हैदराबाद को चुनने का फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत समझा जा रहा है कि पार्टी उन राज्यों में विस्तार करना चाहती है जहां वह अपेक्षाकृत कमजोर है और तेलंगाना उसकी शीर्ष प्राथमिकता में है. केंद्र में 2014 में सत्ता में आने से बाद से यह चौथी बार है जब पार्टी दिल्ली से बाहर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक कर रही है. उसने इससे पहले 2017 में ओडिशा, 2016 में केरल और 2015 में बेंगलुरु में बैठक की थी. ये ख़बर आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

(एजेंसी इनपुट के साथ)

LIVE TV