Kota : राजस्थान के कोटा जिले (Kota News) में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है. मरीजों को अस्पतालों में बेड नसीब नहीं हो रहे. ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही. दवा और इंजेक्शन के लिए भी मरीज ओर तीमारदार इधर उधर भटक रहे हैं. इन हालातों में शहर के 5 युवाओं ने मरीजों की परेशान होते देखा तो लग्जरी कार में ही निशुल्क प्राणवायु देना शुरू कर दिया. सोमवार को लग्जरी कारों में 4 मरीजों को ऑक्सीजन (Oxygen) लगाई गई. जबकि 2 मरीजों के घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen cylinder) पहुंचाया.
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विज्ञाननगर निवासी चन्देश गुहिजा (44) के आर्य समाज रोड पर गाड़ियों का सर्विस सेंटर है. कोरोना की दूसरी वेव में मरीजों को बेड और ऑक्सीजन (Oxygen Help in Kota) के लिए भटकते देखा तो मन मे इनकी मदद करने का विचार आया. चन्देश ने साईं मित्र मंडल के अपने 4 दोस्तों आशीष सिंह, भरत समनानी, रवि कुमार और आशू कुमार को साथ लिया. और विज्ञान नगर में साईं चौक में 3 लग्जरी कारों को खड़ा कर आपातकालीन अस्पताल बना दिया.
ऐसे मरीज जिनको अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा, ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो रही, वो मरीज यहां आ रहे है. यहां आने पर उन्हें कार में लेटाकर उनको ऑक्सीजन (Oxygen Help in Rajasthan) लगाई जा रही है. दूसरा इंतजाम नहीं होने तक या मरीज की कंडीशन ठीक होने तक उसे कार एम्बुलेन्स में ही रखा जा रहा है. इतना ही नही इन एम्बुलेंस से मरीज को अस्पताल व डॉक्टर के घर तक भी पहुंचा रहे हैं. मरीज को भर्ती नहीं होने तक, या घर पर डॉक्टर द्वारा चेकअप नहीं होने तक एम्बुलेंस वहीं खड़ी रहती है.
चंद्रेश ने बताया कि फिलहाल 3 कारें लगाई है. जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाते हैं. इनमें एक कार खुद की, एक भाई की व एक चाचा की कार है. इनमें दो कारों को एम्बुलेंस बनाया गया है. सभी गाड़ियों में गैस किट लगवाया है. मरीज के ऑक्सीजन चढ़ने तक कार का एसी चालू रखना पड़ता है. चंद्रेश ने बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Help News) और कारों का मिलाकर प्रति दिन 5 से 7 हजार का खर्चा आ रहा है. ये खर्च सभी दोस्त आपस में मिलकर उठा रहे हैं. कुछ लोग भी मदद कर रहे है.
चंद्रेश ने बताया कि कार में एक सिलेंडर से 3 मरीजों को ऑक्सीजन देने की व्यवस्था है. एक मरीज को दो से 3 घण्टे ऑक्सीजन पर रख रहे हैं. अभी बड़ी मुश्किल से जुगाड़ करके 3 सिलेंडर की ही व्यवस्था हो पा रही है. ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen cylinder) लेने के लिए रात को 7 बजे लाइन में लगना पड़ता है तक जाकर रात डेढ़ बजे ऑक्सीजन सिलेंडर मिल पाता है. ज़रूरतमन्दों के इतने फोन आते है कि रात को फोन बंद रखना पड़ता है.
चंद्रेश ने बताया कि पिछले 10-12 दिनों से मरीजों के घरों तक निशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे थे. कई मरीज ऑक्सीजन सिलेंडर रख लेते थे. कुछ जगह तो ऐसी थी जहां तीन-चार मंजिलों पर सिलेंडर चढ़ाना पड़ता था. इसमें समय ज्यादा लग रहा था. कम मरीजों की मदद हो पा रही थी. फिर विचार बदला ओर कारों में ही ऑक्सीजन लगाने की व्यवस्था की. शुरुआत में परिचित फेक्ट्री मालिक ने 4 ऑक्सीजन के सिलेंडर देकर मदद की. 1100 रुपए के रेगुलेटर 3500 रुपए में खरीदे. ऑक्सीजन मास्क के भी 40 के बजाय 100 रुपए देने पढ़े. हर मरीज को अलग-अलग ऑक्सीजन मास्क लगाना पड़ता है.
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